
Sitapur : उत्तर प्रदेश की सियासत के सबसे कद्दावर और विवादित चेहरों में से एक, समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खां आखिरकार जेल से बाहर आ गए हैं। बीते 27 महीनों से सीतापुर जेल में बंद आजम खां की रिहाई को सिर्फ एक सामान्य घटना नहीं, बल्कि यूपी की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। उनकी रिहाई के साथ ही रामपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
दोपहर 12 बजे के बाद निकाले गए बाहर
सपा नेता को दोपहर बाद जेल से बाहर निकाला गया। उनकी एक कानूनी कार्रवाई अधूरी रहने के कारण सुबह रिहाई नहीं हो सकी थी। जिसके बाद उसे पूरा किया गया और उन्हें बाहर निकाला गया। इस दौरान वे अपने बेटों के साथ कार में सवार होकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन हाथ हिलाकर करते हुए निकल गए।
‘जेल से बाहर आए, लेकिन राजनीति से दूर नहीं’
आजम खां का जेल से बाहर आना उनके समर्थकों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। सीतापुर जेल के बाहर सुबह से ही हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए थे, मानो वे अपने नेता के स्वागत के लिए पलकें बिछाए बैठे हों। जब आजम खां जेल से बाहर आए तो उनकी धीमी चाल और चेहरे की थकान साफ दिख रही थी, लेकिन उनकी आंखों में वही पुरानी सियासी चमक बरकरार थी। मीडिया के कई सवालों के जवाब उन्होंने दिए, लेकिन कुछ सवालों पर उनका मौन भी कई कहानियाँ कह गया।
सपा के लिए संजीवनी, विरोधियों के लिए ‘खतरा’
आजम खां की रिहाई को समाजवादी पार्टी के लिए एक संजीवनी बूटी के रूप में देखा जा रहा है। पश्चिमी यूपी और खासकर रामपुर में उनका प्रभाव किसी से छिपा नहीं है। मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण को मजबूत करने में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है। अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक हैं तो आजम खां का बाहर आना सपा को एक नई ताकत देगा।
वहीं, उनके विरोधी खेमे में इस रिहाई से बेचैनी बढ़ गई है। भाजपा के लिए आजम खां एक ऐसा चेहरा हैं, जो अक्सर उनके लिए चुनावी मुद्दों को धार देने का काम करते हैं। लेकिन अब जब वे बाहर आ गए हैं तो उनके आक्रामक तेवर विपक्ष को एक नई रणनीति पर मजबूर कर सकते हैं।
अगला कदम: रामपुर या लखनऊ?
सवाल यह है कि जेल से बाहर आने के बाद आजम खां का अगला सियासी कदम क्या होगा? क्या वे रामपुर में अपनी पुरानी जमीन को फिर से मजबूत करने पर ध्यान देंगे, या फिर लखनऊ की राजनीति में सक्रिय होकर अखिलेश यादव के साथ मिलकर भाजपा को घेरने की रणनीति बनाएंगे? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि आजम खां की वापसी यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ लाएगी। उनकी रिहाई के बाद अब हर किसी की निगाहें उनके अगले बयान और हर चाल पर टिकी हुई हैं।