
Gorakhpur : उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारी जोरों पर है, लेकिन मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान ने आम लोगों के सामने नई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू किए गए इस अभियान में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर गणना प्रपत्र (Enumeration Forms) वितरित कर रहे हैं, लेकिन गोरखपुर जिले में कई इलाकों से शिकायतें आ रही हैं कि पूरे परिवार के फॉर्म नहीं पहुंच रहे, जबकि 2003 की आधार वर्ष मतदाता सूची की जानकारी न मिलने से अशिक्षित और ग्रामीण मतदाता सबसे ज्यादा परेशान हैं।
अभियान के तहत 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक BLO घर-घर फॉर्म वितरित और एकत्र करेंगे।
इस दौरान किसी से कोई आईडी प्रूफ या दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। फॉर्म में मतदाता को अपनी या परिवार के किसी सदस्य की 2003 की मतदाता सूची में विधानसभा क्षेत्र, भाग संख्या और क्रम संख्या भरनी होती है। अगर नाम 2003 की लिस्ट में नहीं था या रिश्तेदार जीवित नहीं हैं, तो बाद में 9 दिसंबर से 8 जनवरी तक 13 वैकल्पिक दस्तावेजों (जैसे जन्म प्रमाणपत्र, राशन कार्ड आदि) में से कोई एक जमा करना होगा।
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक लोग BLO, प्रधान, पार्षद और पार्टी कार्यकर्ताओं के चक्कर काट रहे हैं। कुछ जागरूक पार्षद कैंप लगाकर मदद कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर जनप्रतिनिधि इस अभियान से दूर दिख रहे हैं। राजनीतिक दलों – भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा – के नेता दावे कर रहे हैं कि उनके कार्यकर्ता BLO की मदद कर रहे हैं और निगरानी रख रहे हैं, लेकिन मतदाताओं की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
व्यक्तिगत शिकायतें उजागर कर रही हैं सिस्टम की खामियां
शक्ति नगर कॉलोनी की विंध्यवासिनी राय के घर पांच मतदाता हैं, लेकिन सिर्फ उनके बेटे का एक फॉर्म पहुंचा। BLO ने बाकी नहीं ढूंढे तो परेशान होकर उन्होंने वार्ड शिवाजी नगर की पार्षद संगीता सिंह से गुहार लगाई।
बेतियाहाता के राजेश सिंह पूछ रहे हैं – अगर 2003 की लिस्ट में नाम नहीं था और माता-पिता या दादा-दादी गुजर चुके हैं, तो रिश्तेदार वाले कॉलम में क्या भरें? क्या उनका नाम मौजूदा लिस्ट से हट जाएगा?
चौरीचौरा के चकदेईया गांव में रामविश्वास पासवान के घर छह मतदाता हैं, लेकिन सिर्फ पांच फॉर्म मिले। 2003 की लिस्ट की जानकारी BLO ने नहीं दी। गांव वाले कहते हैं – वेबसाइट से डाउनलोड करने को कहा जाता है, लेकिन ज्यादातर लोग इंटरनेट या कंप्यूटर चलाना नहीं जानते।
खैराबाद ग्राम पंचायत के भागवत के घर तीन मतदाता, एक का फॉर्म गायब।
बांसगांव नगर पंचायत वार्ड-4 के योगेंद्र सिंह के यहां पांच वोटर, सिर्फ दो फॉर्म मिले। BLO ने न तो पूरी डिलीवरी की और न ही 2003 की लिस्ट में नाम बताए।
उरुवा ब्लॉक के बारीपुर गांव के दिलीप कहते हैं घर में सात मतदाता, सिर्फ एक फॉर्म आया। गांव में ज्यादातर अशिक्षित हैं, फॉर्म भरना तो दूर, समझ भी नहीं आ रहा।
महानगर के रहदौली निवासी राजेश मौर्या ने कहा फॉर्म के सवालों के जवाब ही नहीं मिल रहे।
क्यों है 2003 की लिस्ट इतनी महत्वपूर्ण?
चुनाव आयोग ने 22 साल बाद मतदाता सूची को पूरी तरह रीसेट करने का फैसला लिया है। 2003 के बाद कई राज्यों में गहन पुनरीक्षण नहीं हुआ था, इसलिए अब पुरानी लिस्ट को आधार बनाकर नई लिस्ट तैयार की जा रही है। इसका मकसद डुप्लीकेट नाम हटाना, मृतकों के नाम काटना और नए मतदाताओं को जोड़ना है। राज्य में करोड़ों मतदाता प्रभावित होंगे, और गोरखपुर जैसे जिलों में पहले से परिसीमन के कारण 43 हजार से ज्यादा नाम हटाए जा चुके हैं।
अधिकारियों का कहना है कि 2003 की लिस्ट ceouttarpradesh.nic.in या आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड की जा सकती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता की कमी बड़ी बाधा बन रही है। अगर फॉर्म नहीं भरा तो नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आएगा, और बाद में दस्तावेज जमा करने पड़ेंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग ने BLO को सख्त निर्देश दिए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर लापरवाही साफ दिख रही है। मतदाता परेशान हैं कि आखिर यह प्रक्रिया इतनी जटिल क्यों बनाई गई? आने वाले दिनों में अगर सुधार नहीं हुआ तो पंचायत चुनावों की मतदाता सूची पर बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है।













