
- अपने बच्चों के साथ सिंधी में बात करें
- सिंधी भाषा दिवस पर सम्पन्न हुयी संगोष्ठी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी की ओर से शुक्रवार को सिंधु भवन में सिंधी भाषा दिवस पर संगोष्ठी एवं छात्रों द्वारा सिंधी गीत, कविताओं की प्रस्तुति की गई । कार्यक्रम के आरंभ में भगवान झूलेलाल की प्रतिमा पर अकादमी निदेशक अभिषेक कुमार ’अखिल’, राजाराम भागवानी, सुधामचन्द, प्रकाश गोधवानी दुनीचन्द, हरीश वाधवानी आदि ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया । इस मौके पर मुख्य वक्ता सुधामचन्द चंदवानी ने कहा 1947 में अखंड भारत के विभाजन के बाद सिंधियों को सिंध प्रान्त छोड़ना पड़ा।
सिंधी समाज के लोगों को देश के विभिन्न प्रान्तों में आकर बसे। भारत में सिंधियों का कोई विशेष भाषाई राज्य नहीं है। भारत सरकार ने सिंधियों की न्यायोचित मांग और देशभक्ति को देखते 10 अप्रैल, 1967 को चेटीचंड के पावन दिवस पर ही सिंधी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की थी और इस वर्ष 58 साल पूर्ण हुये हैं। वक्ता हरीश वाधवानी ने कहा कि आज के युवा की जिम्मेदारी है कि वह सिंधी भाषा के महत्व को समझे। सिंधियत की पहचान हमारी भाषा है।
सिंधी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को आगे आना होगा, उनको साथ लाना होगा। आज का सिंधी युवा अपनी भाषा व संस्कृति के प्रति सजग हैं और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत भी हैं। अध्यक्षता कर रहे राजाराम बागवानी ने आग्रह किया कि प्रत्येक अभिभावक को अपने बच्चों के साथ सिंधी भाषा में अवश्य बातचीत करनी चाहिए।

इस मौके पर छात्रों द्वारा कविता, गीत एवं भाषण की प्रस्तुति की गई। निवान द्वारा सिंधी कविता …पैसा लाडो पट टन, छात्रा तान्या केसवानी ने मुनजे झुलण जो देवानो ओ नचिदे दिखारे.., वैभव रोड़ा तथा मयंक गुरूनानी द्वारा सिंधी गीत ..आयो सिंधी आयो.. की प्रस्तुति की गई। छात्रा खुशी कृपलानी, सुचिता कृपलानी द्वारा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों पर स्पीच दी गयी तथा कार्यक्रम में हिमांशु साधवानी द्वारा पल्लव किया गया। कार्यक्रम में शांता बड़वानी गीता सत्येंद्र भवनानी सुरेश छबलानी दीपक लालवानी अशोक चंदवानी आदि उपस्थित थे। अकादमी निदेशक अभिषेक कुमार अखिल ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।