इस गांव में पसरा सन्नाटा, जानिए क्यों गांव छोड़ कर भागे पुरुष

मेदिनीपुर। पश्चिम मेदिनीपुर के पांशकुड़ा इलाके में एक गांव से अचानक पुरुष गायब हो गए हैं। गांव में अब केवल महिलाएं और बच्चे रह गए हैं। यह असामान्य दृश्य एक नाबालिग छात्र की आत्महत्या के बाद सामने आया है, जिसे चिप्स चोरी के आरोप में अपमानित किया गया था।

क्यों गांव छोड़ कर भागे पुरुष?

गांव में हर तरफ सन्नाटा पसरा है। मृतक की मां ने बताया कि जिस किसी ने हमारे लिए आवाज़ उठाई, वे सब डर के कारण गांव छोड़कर भाग गए हैं। इसकी वजह है कि पुलिस की ओर से सबको धमकी दी गई है। क्योंकि बच्चे को अपमानित करने वाला एक सिविक वॉलिंटियर है। इसीलिए किसी की हिम्मत नहीं हो रही है, गांव में रहने की। इसलिए अब में थाने जाकर शिकायत दर्ज भी नहीं करवा पा रही हूं।

गुरुवार रात जब मृतक का शव गांव लाया गया, तो आक्रोशित भीड़ ने एक स्थानीय दुकान मालिक के घर पर हमला किया। वह व्यक्ति पेशे से एक सिविक वॉलिंटियर है। इसी हमले के आरोप में पुलिस ने गांव के कई पुरुषों को नामजद किया है। मामला दर्ज होते ही गांव के अधिकतर पुरुष घर छोड़कर फरार हो गए।

हमले के मामले में एक व्यक्ति श्यामचरण भुइंया उर्फ़ ‘जमाई’ का नाम भी है, जिस पर आरोप है कि उसने ही मृतक को चोर कहकर अपमानित किया था और उसकी मां को दुकान पर बुलाया था। इसके बाद से वह भी लापता है। हालांकि उसके बेटे ने बताया कि मेरे पिता और उस परिवार के बीच अच्छे संबंध थे। उन्होंने सिर्फ समझाने के लिए बात की थी।

सिविक वॉलिंटियर के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि भीड़ ने उनकी बहू से मारपीट और अश्लील हरकतें कीं। मगर गांव वालों का कहना है कि ये आरोप झूठे हैं। खुद पीड़िता ने मीडिया को बताया था कि वह और उसके परिवार वाले हमले के वक्त दरवाजा बंद कर घर के अंदर थे। उन्होंने हमले की बात से इनकार किया था, हालांकि ‘जमाई’ को चोर कहने पर उन्होंने खेद जताया था।

पुलिस ने इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि शेष आरोपित फरार हैं। बच्चे को अपमानित करने वाला सिविक वॉलिंटियर फरार है और पुलिस पता तक नहीं लग पा रही है। सिविक वॉलिंटियर के पिता की शिकायत पर कुल 16 लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज किए गए हैं, जबकि करीब 100 अज्ञात लोगों को भी आरोपित बनाया गया है। भारतीय दंड संहिता की कुल 14 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

एक स्थानीय व्यवसायी मिहिर गुचैत ने फोन पर बताया कि मैं और मेरा बेटा उस परिवार को बचाने गए थे, लेकिन उल्टा हमें ही मामले में फंसा दिया गया। मेरे बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया है। ये सारे आरोप बेबुनियाद हैं।

मृतक के परिवार ने पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। मां ने कहा कि जिस सिविक वॉलिंटियर ने मेरे बेटे को चोर कहा, वही असली गुनहगार है। लेकिन पुलिस उसे सुरक्षा दे रही है और हमारे गांव वालों को झूठे केस में फंसा रही है।

पड़ोसी गांवों के लोग भी पुलिस की कार्रवाई से नाराज़ हैं। एक ग्रामीण ने कहा कि जिसकी वजह से एक छात्र ने आत्महत्या की, पुलिस उसी के समर्थन में कार्रवाई कर रही है। आम निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। लगता है, पुलिस को एक छात्र की जान से ज़्यादा एक सिविक वॉलिंटियर की प्रतिष्ठा की परवाह है।

पांश्कुड़ा थाने के आईसी समर डे ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।

शनिवार को भाजपा की स्थानीय पंचायत प्रमुख मीता बेसरा सोरेन मृतक छात्र के घर पहुंचीं। उन्होंने कहा कि झूठे केस में गांव के लोगों को डराकर भगा दिया गया है। पीड़ित परिवार अकेला पड़ गया है। हम उनके साथ खड़े हैं और दोषियों को सज़ा दिलाने की मांग करते हैं।

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