
जयपुर : राजस्थान में आयोजित समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं में किसी भी सिख छात्र को अब अपने धार्मिक प्रतीकों को उतारने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। सिख अभ्यर्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में अपने धार्मिक प्रतीक जैसे कड़ा, कृपाण और पगड़ी पहनकर परीक्षा केन्द्र में जाने की पूरी छूट होगी। गृह विभाग ने इस संबंध में एक अहम आदेश जारी किया है।

गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव भास्कर ए. सावंत ने प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा, शासन सचिव, स्कूल शिक्षा, पुलिस महानिदेशक, राजस्थान, सचिव, राजस्थान लोक सेवा आयोग, सचिव, राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड तथा समस्त जिला कलेक्टरों को पत्र जारी कर निर्देशित किया कि परीक्षा केंद्रों पर सिख उम्मीदवारों की धार्मिक भावनाओं और गरिमा का पूरा सम्मान किया जाए। साथ ही सुरक्षा जांच के दौरान भी उनकी धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखा जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही जयपुर में आयोजित एक प्रतियोगी परीक्षा के दौरान पंजाब से आई एक छात्रा को धार्मिक प्रतीकउतारने को कहा गया था। इस मामले के बाद कई सिख संगठनों और अभ्यर्थियों ने नाराजगी जताई थी। इस पर विरोध जताते हुए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने रविवार को पीएम मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। इसके तुरंत बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए ये आदेश जारी किया है। राजस्थान सरकार के इस आदेश के बाद सुखबीर सिंह बादल ने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि मैं राजस्थान सरकार द्वारा सिख छात्रों को परीक्षा केंद्रों में पगड़ी, कड़ा और कृपाण सहित अपनी आस्था की वस्तुएं धारण करने की अनुमति देने के निर्णय का स्वागत करता हूं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभारी हूं कि उन्होंने बपतिस्मा प्राप्त सिखों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न हो, यह सुनिश्चित करने के हमारे अनुरोध पर सकारात्मक और त्वरित प्रतिक्रिया दी। मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह करता हूं कि वे अधिकारियों को गुरप्रीत कौर और अन्य छात्रों को विशेष अवसर प्रदान करने का निर्देश दें, जिन्हें पवित्र कृपाण धारण करने के कारण परीक्षा में प्रवेश से अनुचित रूप से वंचित कर दिया गया था। इसके अतिरिक्त, मैं अनुरोध करता हूं कि बिना किसी धार्मिक पूर्वाग्रह या सिख छात्रों के साथ भेदभाव के, सभी छात्रों की स्क्रीनिंग समान रूप से की जाए।