सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने शैक्षिक उन्नयन में आगे बढ़ाया एक और कदम, आने वाली पीढ़ियों के लिए साबित होगा वरदान

सिद्धार्थनगर । सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय बड़ोदरा गुजरात के मध्य समझौता ज्ञापन हस्तांतरण संपन्न हुआ है। इस समझौते का सीधा लाभ दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षकों विद्यार्थियों और शोधार्थियों को प्राप्त होगा। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कविता शाह ने समझौता ज्ञापन के संबंध में बताया कि पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं कृषि के लिए प्रयोग एवं अनुसंधान शिक्षा का जगत के समक्ष वर्तमान समय मे ज्वलन्त चुनौती है।

पर्यावरण, स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में बायोकेमेस्ट्री और नैनो टेक्नोलॉजी का अत्यधिक उपयोगिता है। इस क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने बताया कि नैनोटेक्नोलॉजी के माध्यम से मानव जीवन के स्वच्छ एवं सतत भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने में यह समझौता ज्ञापन महत्वपूर्ण है। भारतीय दृष्टिकोण से पारंपरिक जड़ी बूटियां का अध्ययन स्वस्थ समाज की आधारशिला बन सकेगी।

भारतीय दृष्टिकोण से ही पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि के क्षेत्र में उन्नतिशील अध्ययन विकसित भारत की परिकल्पना को साकार स्वरूप प्रदान करने में यह समझौता उपयोगी होगा । सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के सूचना जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि गुजरात विश्वविद्यालय बड़ोदरा के स्कूल ऑफ नैनो साइंस की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमाशंकर दूबे तथा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कविता शाह की उपस्थिति में यह समझौता संपन्न हुआ है जो सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों की शैक्षिक यात्रा में मील का पत्थर सिद्ध होगा।

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