शुभांशु शुक्ला का यान समुद्र में उतरा जबकि जमीन पर लैंड हुए थे राकेश शर्मा… आखिर कौन है ज्यादा सुरक्षित?

भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की हालिया अंतरिक्ष से वापसी ने एक बार फिर इस बहस को जिंदा कर दिया है कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षित वापसी का बेहतर विकल्प क्या है- समुद्र में उतरना या धरती पर. कैलिफोर्निया तट के पास स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के पानी में सफल ‘स्प्लैशडाउन’ ने जहां सॉफ्ट और सुरक्षित वापसी को रेखांकित किया. वहीं बोइंग स्टारलाइनर का न्यू मैक्सिको में धरती पर उतरना एक बार फिर इस तकनीक की मजबूती को दर्शाता है.

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की 1984 में हुई ज़मीन पर वापसी हो या रूस और चीन जैसे देशों की परंपरागत लैंडिंग्स, हर देश अपनी भूगोलिक और तकनीकी जरूरतों के हिसाब से निर्णय करता है. लेकिन सवाल बना रहता है. स्प्लैशडाउन बेहतर है या धरती पर धमाकेदार वापसी?

पानी में लैंडिंग: सुरक्षा और सुकून का मेल

स्पेसएक्स का ‘ड्रैगन’ कैप्सूल जब कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में उतरा, तो यह सिर्फ एक और मिशन की वापसी नहीं थी, बल्कि यह दिखाता है कि क्यों अमेरिका समुद्री लैंडिंग को प्राथमिकता देता है. पानी का सतह एक प्राकृतिक कुशन की तरह काम करता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को कम झटका लगता है.

इसके अलावा, स्पेसएक्स जैसी कंपनियां इस विकल्प को इसलिए भी पसंद करती हैं क्योंकि Rey-Entry के दौरान छोड़े गए कैप्सूल के ट्रंक से निकला मलबा समुद्र में गिरता है, जिससे आबादी वाले इलाकों को खतरा नहीं होता. अप्रैल 2024 में स्पेसएक्स के मलबे के टुकड़े ऑस्ट्रेलिया और कनाडा तक पहुंचने की घटना ने यह चिंता और पुख्ता कर दी थी. 

धरती पर लैंडिंग: सटीक, लेकिन चुनौतीपूर्ण

वहीं दूसरी ओर, रूस और चीन की अंतरिक्ष एजेंसियां वर्षों से ज़मीनी लैंडिंग को ही अपनाती रही हैं. रूस की ‘सोयूज’ और चीन की ‘शेनझोउ’ जैसी कैप्सूल आधारित उड़ानें आमतौर पर कज़ाखस्तान और मंगोलिया के दूर-दराज के मैदानों में उतरती हैं. यह तरीका सटीक है, लेकिन जोखिमों से भरा होता है। मौसम, उबड़-खाबड़ जमीन और तेज झटका इसे चुनौतीपूर्ण बना देते हैं.

राकेश शर्मा का अनुभव- ‘मैंने सोचा मैं बचूंगा नहीं’

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 2024 की एक बातचीत में बताया कि वापसी का अनुभव कितना रोमांचक था. ‘रीएंट्री सबसे रोमांचक हिस्सा था क्योंकि मुझे लगा मैं शायद लौट न पाऊं… तभी पैराशूट खुला और कैप्सूल के अंदर बहुत शोर हुआ, जिसके लिए हम तैयार नहीं थे,” उन्होंने PTI से बातचीत में कहा.

मिशन से पहले तय होती है वापसी की रणनीति

यह तय करना कि मिशन की वापसी ज़मीन पर होगी या पानी में, पहले से ही योजना का हिस्सा होता है. यह निर्णय कैप्सूल की डिजाइन, मिशन की प्रकृति, और मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करता है. अमेरिका जहां समुद्री रिकवरी के लिए तैयार है, वहीं रूस और चीन को उनकी भौगोलिक परिस्थितियां ज़मीन पर लैंडिंग के लिए उपयुक्त बनाती हैं.

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