इतिहास रचने को तैयार शुभांशु शुक्ला; आज अंतरिक्ष के लिए भरेंगे उड़ान

नई दिल्ली, फ्लोरिडा। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 25 जून की शाम अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन करने जा रहे हैं। वह नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस के साझा मिशन “एक्सिओम-4” के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा पर रवाना होंगे। शुभांशु शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे।

लखनऊ से अंतरिक्ष तक: शुभांशु की ऐतिहासिक उड़ान

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला को इसरो और नासा के सहयोग से तैयार इस वाणिज्यिक मिशन में शामिल किया गया है। वह इस मिशन में मिशन पायलट की भूमिका में हैं। 14 दिनों तक चलने वाली यह उड़ान न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि निजी और वैश्विक अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

कौन-कौन होंगे साथ?

इस मिशन का नेतृत्व अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन (हंगरी) कर रही हैं। उनके अलावा दो मिशन विशेषज्ञ — टिबोर कापू (हंगरी) और स्लावोज उज्नास्की-विस्नीव्स्की (पोलैंड) — भी इस यात्रा में शुक्ला के साथ होंगे।

प्रक्षेपण की तैयारी और बाधाएं

यह मिशन पहले 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे बार-बार टालना पड़ा। फाल्कन-9 रॉकेट में ईंधन रिसाव और अंतरिक्ष स्टेशन के रूसी हिस्से में लीकेज के चलते मिशन की तारीखें बदली गईं। अंततः 25 जून को लॉन्चिंग तय की गई है। स्पेसएक्स ने जानकारी दी है कि मौसम 90% अनुकूल है और सभी प्रणालियां सही तरीके से काम कर रही हैं।

डॉकिंग का समय कब होगा?

नासा के अनुसार, अंतरिक्ष यान की आईएसएस से डॉकिंग 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे होगी।

क्या करेंगे शुभांशु अंतरिक्ष में?

शुभांशु इस मिशन के दौरान इसरो के सात वैज्ञानिक प्रयोग और नासा के पांच मानव अनुसंधान कार्यक्रम का हिस्सा होंगे। इनमें सबसे अहम प्रयोगों में एक है — सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मेथी और मूंग के बीजों को अंकुरित करना। ये बीज अंतरिक्ष की परिस्थितियों में विकसित किए जाएंगे और फिर उन्हें धरती पर लाकर कई पीढ़ियों तक उनके विकास का अध्ययन किया जाएगा।

गगनयान मिशन से है गहरा संबंध

शुक्ला को वर्ष 2019 में गगनयान मिशन के लिए तीन अन्य भारतीय वायुसेना अधिकारियों के साथ चुना गया था। उन्होंने रूस के गगारिन कॉस्मोनॉट प्रशिक्षण केंद्र और इसरो के बेंगलुरु स्थित प्रशिक्षण केंद्र में कड़ा प्रशिक्षण लिया है। एक्सिओम मिशन पर उनकी यह उड़ान गगनयान के लिए एक अमूल्य अनुभव बनकर सामने आएगी।

इसरो ने इस मिशन के लिए करीब 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिससे न केवल वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत की भविष्य की मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों की नींव और मजबूत होगी।

क्यों है यह मिशन खास?

  • 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष की यात्रा पर
  • पहली बार कोई भारतीय निजी वाणिज्यिक मिशन में अंतरिक्ष में
  • गगनयान की सफलता के लिए मिलेंगे उपयोगी अनुभव
  • अंतरिक्ष कृषि, मानव शरीर पर अंतरिक्ष प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण प्रयोगों में भागीदारी

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