डॉक्यूमेंट्री और विज्ञापन में कुछ प्रभावशाली काम करने के बाद, शुभ मुखर्जी ने 13 साल बाद फिक्शनल फिल्ममेकिंग में वापसी की हैं अपनी फिल्म कहवा के साथ। ये फिल्म कश्मीर में सेट है और वहां के हाल की कुछ महत्वपूर्ण सच्ची घटनाओं पर रोशनी डालती है। फिल्म ने इंटरनेशनल लेवल पर कई फिल्म फेस्टिवल्स में काफी हलचल मचाई, और अब फिल्ममेकर ने इंडियन ऑडियंस के लिए कहवा का ट्रेलर जारी किया, जिसमे गुंजन उतरेजा की लीड रोल में हैं।
ऐसे में फिल्ममेकर से जब स्वतंत्रता दिवस के आसपास इसका ट्रेलर रिलीज़ करने के पीछे का कारण पूछा गया, तो शुभ ने जवाब में कहा, “यह फ़िल्म हम सब के लिए एक महत्वपूर्ण जगह, कश्मीर के बारे में बात करती है। कश्मीर हमेशा से बहुत अस्थिर रहा है और शांति भंग होने के लिए रडार पर रहा है। इस जगह को हमेशा दो अलग-अलग विचारधाराओं- भारत समर्थक या भारत विरोधी- के लेंस के माध्यम से देखा गया है। जैसा कि हम भारत की स्वतंत्रता का जश्न मना रहे हैं,
कश्मीर जैसे राज्य में स्वतंत्रता के महत्व को समझना बहुत जरूरी है।” उन्होंने आगे कहा, “यही वह चीज है जिसके लिए वे हमेशा अपने मन में लड़ते रहे हैं, उनकी स्वतंत्रता की भावना जो उन्हें लगता है कि उन्हें नहीं मिली। स्वतंत्रता का जश्न हर नागरिक को मनाना चाहिए और इसे एक साथ मनाना चाहिए। कहवा युद्ध के खिलाफ एकजुटता, मानवता और शांति के विचार का जश्न मनाती है।”
कहवा की कहानी कश्मीर में आतंकवादी बुरहान वानी की मुठभेड़ के बाद की पृष्ठभूमि पर आधारित है। उसकी मौत के बाद राज्य में सबसे लंबे समय तक कर्फ्यू लगा रहा। कश्मीर में, सेना और नागरिकों के बीच संबंध हमेशा से ही खराब रहे हैं, जहां नागरिक सेना को अपने ऊपर कंट्रोल करने वाले ताकत के रूप में देखती है, वहीं सेना नागरिकों को शक की नजरों से देखती है। कहवा इस फर्क का उपयोग आशा और सकारात्मकता का संदेश फैलाने के लिए करती है, क्योंकि यह कश्मीर में एक चाय विक्रेता और एक सैनिक की कहानी पेश करती है, जो चाय पर बातचीत करके एक-दूसरे के करीब आते हैं।
बता दें, यह फिल्म लॉस एंजिल्स, इस्तांबुल, चेन्नई, लंदन और कान फिल्म फेस्टिवल सहित दुनिया भर के कई फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा चुकी है। ऐसे में ग्लोबल दर्शकों से कहवा को मिली सराहना के बारे में बात करते हुए शुभ कहते हैं कि इससे उन्हें एक ऐसी जगह के बारे में जानकारी मिली जिसके बारे में वे ज़्यादा नहीं जानते थे। वे कहते हैं, “वे लोग कश्मीर जैसी जगहों पर क्या होता है, इसके बारे में नहीं जानते हैं और कहवा के ज़रिए उन्हें कुछ नया पता चला।”