
लखनऊ। उप्र सरकार के प्रमुख मंत्री संजय निषाद सरकार से खुलकर अपना विरोध प्रकट कर चुके हैं। वो अपने समुदाय की ताकत और गठबंधन को लेकर सरकार को घेरते रहे हैं। शक्ति प्रदर्शन का खेल जारी है। लगता है आगामी विधान सभा चुनाव व पंचायत चुनाव तक यह चलता रहेगा। लखनऊ में निषाद पार्टी के कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग से सियासत तेज हो गई है।
निषाद पार्टी कार्यालय पर लगी सियासी होर्डिंग लखनऊ में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। होर्डिंग में स्लोगन दिया गया है, निषाद की ताक़त को मत आजमाओ, भरोसे को यूं मत गंवाओ। निषाद पार्टी के नेता बिजेंद्र त्रिपाठी की तरफ से यह होर्डिंग लगाई गई है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो होर्डिंग के जरिए संजय निषाद की पार्टी बीजेपी को बड़ा संदेश देने की कोशिश में जुटी है। यह होर्डिंग ऐसे समय में लगी है जब संजय निषाद की मुलाकात सीएम योगी से हुई थी। ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि क्या 2027 से पहले निषाद पार्टी अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से अलग हो जाएगी।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की थी। यह मुलाकात कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही थी क्योंकि संजय निषाद ने हाल ही में गठबंधन को लेकर काफी तीखा बयान दिया था। दरअसल निषाद पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा था कि अगर उसे लगता है कि सहयोगी दलों ने कोई लाभ नहीं पहुंचाया है तो वह गठबंधन तोड़ दे। जानकारी के मुताबिक इस टिप्पणी के बाद, संजय निषाद को उसी रात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का फोन आया था और उन्होंने वादा किया कि दोनों दलों के बीच मतभेद सुलझा लिए जाएंगे।
निषाद पार्टी के नेताओं ने कहा कि उनके पार्टी प्रमुख की ये टिप्पणी भाजपा के छोटे सहयोगियों चाहे वे मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में निषाद, राजभर, पटेल हों या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट के बीच बढ़ती दूरियों के कारण है। भाजपा दीर्घकालिक दृष्टि से ओबीसी समुदायों के बीच अपना नेतृत्व तैयार कर रही है, जो उनका मुख्य मतदाता आधार हैं।