- व्यक्तित्व निर्माण के लिए भाषा के साथ सांगठनिक क्षमता जरूरी : श्री आत्म प्रकाश जी
- पत्रकारिता बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य: श्री उमाशंकर मिश्रा
- मीडिया को ईमानदारी से कार्य करना चाहिए : प्रो. डी.पी. तिवारी जी
- शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान बहुत जरूरी: भास्कर दूबे जी
लखनऊ– व्यक्तित्व निर्माण के लिए भाषा के साथ-साथ सांगठनिक क्षमता का होना बहुत जरूरी है, इसी के बल पर वह अपनी जगह बना लेता है। उक्त उद्गार मुख्य वक्ता दूरदर्शन लखनऊ के सहायक निदेशक ब्रॉडकास्टिंग व प्रोग्राम श्री आत्मप्रकाश मिश्रा जी ने 15 दिवसीय वीडियो प्रोडक्शन कार्यशाला के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में आयोजित किया गया था।
मुख्य वक्ता श्री आत्म प्रकाश जी ने पत्रकारिता के छात्रों को समाचार लेखन, फिल्म प्रोडक्शन और कैमरा सहित अन्य तकनीकी जानकारियां भी दीं। उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने से पहले हमें खाका तैयार कर लेना चाहिए, ताकि कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए छात्रों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने पत्रकारिता में प्रयोग होने वाले सभी टूल्स के बारे में जानकारी दी।
विद्या भारती के सह प्रचार प्रमुख श्री भास्कर दूबे जी ने छात्र-छात्राओं द्वारा बनाई गई लघु फिल्मों की सराहना करते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान बहुत जरूरी है, जो आप सभी को भविष्य में ऊंचाइयों तक ले जाएगा। उन्होंने छात्रों को अपना मूल मंत्र देते हुए कहा कहा कि यदि आप सत्य लिखेंगे तो वह किसी न किसी के पक्ष में अवश्य होगा। सत्य कभी निष्पक्ष नहीं होता है। निष्पक्षता सदैव संदेह पूर्ण होती है। इसलिए पत्रकारों को बहुत ही खोजी तरीके से काम करना चाहिए, ताकि हमारे समाज का किसी भी प्रकार से नुकसान न हो। हम लोकतांत्रिक तरीके से समाजहित में कार्य करें। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के रूप में अपने क्षेत्र में कार्य करने के साथ सही और गलत का अनुभव भी होता है।
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा, बिहार के कुलपति प्रो. डी.पी. तिवारी जी ने कहा कि कभी-कभी जीवन को समझने में काफी वक्त लग जाता है। एक ही जीवन में व्यक्ति कई भूमिका में होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में एक पत्रकार की भूमिका एक आदर्श इतिहासकार के रूप में होनी आवश्यक है, जो बिना किसी दबाव या पक्षपात कार्य करे। इससे पत्रकारिता को एक आयाम मिलेगा और आपका व्यक्तित्व समाज में निखरेगा। उन्होंने कहा कि लोकतन्त्र को शासन का सबसे अच्छा तंत्र माना गया है, जिसके चार स्तंभों में से एक मीडिया है। इसलिए मीडिया को ईमानदारी से कार्य करना चाहिए, जिससे लोकतन्त्र को मजबूती मिल सके।
विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख श्री उमाशंकर मिश्रा जी ने कहा कि पत्रकारिता बहुत ही कठिन कार्य है, इसे जिसने आत्मा से स्वीकार किया, उसने इस क्षेत्र में महारत हासिल किया है। उन्होंने कहा कि जिसके अंदर कुछ करने की शक्ति होती है, वह सभी बधाओं को पार कर सफलता प्राप्त करता है। हमें काम को कभी निराश होकर नहीं करना चाहिए, बल्कि चुनौतियां का डटकर मुकाबला करना चाहिए।
इससे पहले बीबीडी और भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बनाई गई लघु फिल्मों को दिखाया गया। बेस्ट स्क्रिप्ट के लिए फातिमा नकवी व अग्रिमा, बेस्ट फिल्म के लिए वर्णिका यादव, बेस्ट कैमरा के लिए शिवांशु मिश्रा, बेस्ट एंकर के लिए अस्मिता बनर्जी व प्रतीक्षा उपाध्याय, बेस्ट एडिटिंग के लिए सार्थक सक्सेना को पुरस्कार और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख श्री भास्कर दूबे जी ने और आभार ज्ञापन रेडक्रास सोसायटी के उपाध्यक्ष श्री सत्यानंद पांडेय जी ने किया। कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला संयोजक श्री विवेक मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्ष्रेत्रीय प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्र जी, बीबीडी और बीबीएयू छात्र-छात्राएं सहित कई लोग मौजूद रहे।