
इंदौर : केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में एक अहम खुलासा करते हुए स्वीकार किया है कि भारत सरकार ने सोयाबीन को महंगा करने के उद्देश्य से इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई थी। यह बयान उन्होंने भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर में किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद दिया।
“भारत में तेलों का आयात वर्षों से होता रहा है” — शिवराज
मीडिया से बातचीत में शिवराज सिंह ने कहा:
“देश में जिन चीजों की कमी है, उन्हें आयात करना पड़ता है। हम जानते हैं कि तेलों का आयात वर्षों से हो रहा है, इसलिए हमने भारत में सोयाबीन महंगा किया।”
उनके अनुसार, इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का उद्देश्य था घरेलू किसानों को बेहतर मूल्य दिलाना। सरकार के इस कदम के बाद सोयाबीन तेल की कीमतों में 25% से 30% तक की वृद्धि देखी गई थी।
सितंबर 2024 में बढ़ाई गई थी ड्यूटी, मई 2025 में हुई थी कमी
सरकार ने सितंबर 2024 में सोयाबीन और अन्य वनस्पति तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी 5.5% से बढ़ाकर 27.5% कर दी थी। इसके चलते तेल की कीमतें 90–95 रुपए/लीटर से बढ़कर 110–125 रुपए/लीटर तक पहुंच गई थीं। हालांकि, मई 2025 में सरकार ने कीमतों में स्थिरता लाने के लिए ड्यूटी में कटौती कर दी थी।
शिवराज का किसानों से वादा: “अब खेत में उतरेंगे नेता, वैज्ञानिक और उद्योग”
बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि:
- “हफ्ते में दो दिन मैं खुद किसानों के बीच रहूंगा।”
- “KVK के वैज्ञानिक हफ्ते में तीन दिन खेत में होंगे।”
- “अब इंडस्ट्री से जुड़े लोग भी सीधे खेत में उतरेंगे।”
- “फसल और उसकी बीमारियों पर सीधी निगरानी रखी जाएगी।”
अब कपास, गन्ना और दलहन पर ध्यान
उन्होंने बताया कि इस पहल की शुरुआत सोयाबीन से की गई है, लेकिन अब फोकस कपास, गन्ना और दलहनों पर होगा। इसी साल बीज नीति (Seed Plan) पर भी काम शुरू किया जाएगा।
बैठक में शामिल हुए कई वरिष्ठ अधिकारी और नेता
इस विचार-विमर्श में केंद्रीय कृषि सचिव, ICAR के डीजी, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री मानिकराव कोकाटे, मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, और इंदौर के विधायक भी मौजूद रहे।