प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने ईद पर भतीजे अखिलेश पर निशाना साधा है। उन्होंने बिना भतीजे का नाम लिए एक ट्वीट किया। लिखा, “अपने सम्मान के न्यूनतम बिंदु पर जाकर मैंने उसे संतुष्ट करने का प्रयास किया। इसके बावजूद भी अगर नाराज हूं तो किस स्तर तक उसने हृदय को चोट दी होगी। हमने उसे चलना सिखाया और वो हमें रौंदता चला गया। एक बार पुन: पुनर्गठन, आत्मविश्वास और सबके सहयोग के अप्रतिम शक्ति से ईद की मुबारकबाद।”
शिवपाल को सपा विधायकों की बैठक में नहीं बुलाया गया था
दरअसल, शिवपाल यादव और अखिलेश 5 साल बाद मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में एक साथ आए थे। अखिलेश यादव ने शिवपाल को पार्टी सिंबल पर इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ाया था। शिवपाल चुनाव जीते भी थे। लेकिन बाद में उन्हें अखिलेश ने हाशिए पर ही रखा। उन्हें चुनाव बाद हुई सपा विधायकों की बैठक में बुलाया नहीं गया। तब शिवपाल ने कहा था, गठबंधन की बैठक में बुलाने का क्या मतलब। वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं तो उनको बैठक में बुलाना चाहिए था।
शिवपाल के साथ अखिलेश ने ज्यादा समय बिताया
इससे पहले शिवपाल ने चैत्र नवरात्रि में एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने राम को याद किया था। साथ ही, लिखा था- भगवान राम का चरित्र ‘परिवार, संस्कार और राष्ट्र’ निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है। इस भाषा को लेकर भी चर्चाएं गर्म थीं। संस्कार और राष्ट्र के उल्लेख से जहां शिवपाल के भाजपा के और करीब होने की आहट मिली थी, तो परिवार का उल्लेख अखिलेश पर तंज था?
उन्होंने रामचरित मानस के जिस दोहे को ‘कोट’ किया, उसमें राम के सुबह उठकर मां-पिता के चरण छूने और उनकी आज्ञा से काम करने का जिक्र है। यह एक जानी हुई बात है कि अखिलेश मुलायम से अधिक शिवपाल के साथ रहकर बड़े हुए। शायद शिवपाल की नाराजगी इस वजह से भी अधिक है कि सपा सुप्रीमो से उनका प्रेम भी अधिक था। प्रेम अपने साथ अपेक्षाएं तो लाता ही है। उम्मीद पूरी न हो, तो दिल टूटता ही है।
आगरा में खुलकर सामने आई थी नाराजगी
20 अप्रैल को अखिलेश यादव आगरा में थे। तब उनसे सवाल हुआ कि शिवपाल यादव भाजपा में जाना चाहते हैं? इस सवाल पर सपा अध्यक्ष भड़क गए थे। अखिलेश ने सफाई देते हुए कहा था, ‘मुझे चाचा से कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन बीजेपी ये बताए कि चाचा को लेकर वो इतनी खुश क्यों है। बीजेपी के नेता चाचा को लेने में इतना विचार क्यों कर रहे हैं। आप खुद सोचें, भाजपा के लोग देरी क्यों कर रहे हैं। आपको सोचना चाहिए कि इसके पीछे क्या कारण हो सकता है।’
वहीं, अखिलेश के इस बयान के बाद शिवपाल ने भी उन पर निशाना साधा। शिवपाल ने कहा था, अखिलेश को लेकर मेरी कोई नाराजगी नहीं है। पूरा प्रदेश और खासकर सभी समाजवादी इसको समझते हैं। अखिलेश के बयान और भाजपा से नजदीकियों पर शिवपाल ने कहा, पूरा प्रदेश जानता है मैं समाजवादी हूं। समाजवादी में ही मेरी लगातार राजनीति रही है। अगर वह भारतीय जनता पार्टी में जल्दी भेजना चाहते हैं तो मुझे समाजवादी पार्टी से निकाल दें।