हरिद्वार। विश्व के सबसे बड़े ओलंपियाड, साइंस ओलंपियाड फाउंडेशन द्वारा आयोजित इंटरनेशनल ओलंपियाड परीक्षा 2023-24 में हरिद्वार के तीन छात्रों ने शीर्ष रैंक हासिल की है। शिवडेल स्कूल के आठवीं कक्षा के अभिनंदन गुप्ता ने इंटरनेशनल सोशल साइंस ओलंपियाड में रैंक-1 हासिल कर इंटरनेशनल गोल्ड मैडल और सर्टिफिकेट प्राप्त किया। वहीं दिल्ली पब्लिक स्कूल के कक्षा दो के प्रथम मीना और वीरांश सिंह ने इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड में रैंक-2 और रैंक-3 हासिल किया। इसके तहत उन्हें इंटरनेशनल सिल्वर और ब्रोंज मैडल के साथ सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है।
इस वर्ष के एसओएफ ओलंपियाड में 70 देशों के लाखों छात्रों ने भाग लिया था। साइंस ओलंपियाड फाउंडेशन (एसओएफ) ने डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में एसओएफ ओलंपियाड विजेताओं की उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए 26वां सम्मान समारोह आयोजित किया। इस अवसर पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और प्रसिद्ध लेखक एवं स्तंभकार चेतन भगत भी मौजूद थे।
समारोह में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने 700 कहा कि आर्टिफिशियल इंटलीजेंस का प्रयोग मात्र एक टूल की तरह करना चाहिए। एआई इंसान का स्थान नहीं ले सकती। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धा कभी समाप्त नहीं होती। जब आप प्रतिस्पर्धा के बारे में बात करते हैं तो सफलता उसके पीछे आती है। सफलता ही वास्तविक उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति समय पर महारत हासिल करने में सक्षम नहीं हो सकता है, लेकिन उसे समय का प्रबंधन करने के लिए दृढ़ संकल्प होना चाहिए। युवा छात्रों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कहां से पढ़ाई की है और अपनी मातृसंस्था को कभी न भूलें।
इसके साथ ही 70 प्रतिभागी देशों के शीर्ष 26 प्रिंसिपलों और शीर्ष 60 शिक्षकों, जिनके छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असाधारण प्रदर्शन किया, को पुरस्कार, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा एसओएफ ने युवा पीढ़ी के बीच हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने, अपनी मातृभाषा में गहरी प्रशंसा और दक्षता विकसित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड को शुरू करने की घोषणा की। इस नए ओलंपियाड का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर छात्रों के बीच भाषाई और सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा देना है।
एआई में मानवीय स्पर्श की कमी: भगत
छात्रों के साथ बातचीत करते हुए भारतीय लेखक और स्तंभकार चेतन भगत ने कहा कि जब आपको किसी चीज के लिए मान्यता और पुरस्कार मिलते हैं तो आपको लगता है कि मुझे इसे और अधिक करना चाहिए। यह आपकी क्षमता की पहचान है। क्षमता का मतलब यह नहीं है कि परिणाम की गारंटी है। आपको काम करना होगा और फिर आप उस क्षमता को किसी खूबसूरत चीज में बदल सकते हैं। एआई चीजों को आसान तो बना सकता है, लेकिन यह कभी भी इंसानों की जगह नहीं ले सकता। एआई कला नहीं बना सकता, इसमें मानवीय स्पर्श की कमी है।