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शिमला : जिले में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर एक बुजुर्ग की जिंदगी पुलिस और समाजसेवियों की तत्परता से बच गई। पांच महीने से लापता इस बुजुर्ग को जब उनके बेटे ने शिमला में गले लगाया तो भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
हरियाणा के पानीपत जिले के जोधन खुर्द गांव के रहने वाले 65 वर्षीय रणबीर सिंह मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। पांच महीने पहले घर से निकलने के बाद उनका कुछ पता नहीं था। परिवार उनकी तलाश में भटक रहा था लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इसी बीच समाजसेवी संस्था उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव को शिमला के टालैंड क्षेत्र में एक रेन शेल्टर में असहाय हालत में रह रहे रणबीर सिंह के बारे में पता चला। उन्होंने तुरंत छोटा शिमला थाना की एसएचओ ममता रघुवंशी से संपर्क किया और बुजुर्ग को रेस्क्यू करने का आग्रह किया।
शिमला पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई
एसएचओ ममता रघुवंशी ने अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर रणबीर सिंह को सुरक्षित बचाया और उनका आईजीएमसी में स्वास्थ्य परीक्षण कराया। चूंकि ठंड में लंबे समय तक रहने के कारण उनकी हालत कमजोर हो गई थी, इसलिए पुलिस ने उन्हें रातभर थाने में सुरक्षित रखा।
रेस्क्यू के दौरान बातचीत में कुछ जानकारियां मिलने के बाद एसएचओ ने हरियाणा पुलिस की मदद ली और आखिरकार रणबीर सिंह के परिवार का पता लगा लिया। जब बेटे वजीर सिंह को खबर मिली कि उसके पिता शिमला में सुरक्षित हैं तो वह भावुक हो उठा।
पिता को देखकर भावुक हुआ बेटा
शनिवार देर शाम जब वजीर सिंह अपने पिता से मिलने छोटा शिमला थाने पहुंचा तो दृश्य बेहद मार्मिक था। पांच महीने से लापता पिता को गले लगाते ही वजीर सिंह फूट-फूट कर रो पड़ा। उसने पुलिस और समाजसेवियों का आभार जताते हुए कहा कि आप लोगों ने भगवान बनकर मेरे पिता की जान बचा ली, नहीं तो वह इस ठंड में मर जाते।
एसएचओ ममता रघुवंशी ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए दोनों को अपने वाहन से बस स्टैंड तक छुड़वाया, जहां से रविवार तड़के वे घर के लिए रवाना हो गए।
पहले भी लापता हुए थे रणबीर सिंह
रणबीर सिंह का परिवार बेहद साधारण है। उनकी मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह काम करने में सक्षम नहीं हैं, जबकि उनकी पत्नी मजदूरी कर घर चलाती हैं। बेटे वजीर सिंह ने बताया कि उनके पिता पहले भी कई बार लापता हो चुके हैं। पिछले साल भी दो महीने तक उनका कोई पता नहीं था और बाद में उन्हें पानीपत से खोजकर घर लाया गया था।
सोलन में भी भटकते मिले थे, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई
गौरतलब है कि कुछ समय पहले रणबीर सिंह को सोलन में भी भटकते हुए देखा गया था। वहां समाजसेवी विजय लांबा ने 24 दिसंबर को उनकी खराब हालत को देखते हुए पुलिस की मदद से उन्हें रेस्क्यू करवाया था। हालांकि, सोलन पुलिस ने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 के तहत कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और न ही परिवार को ढूंढने की कोशिश की। इसके बजाय उन्होंने एक स्वयंसेवी संस्था को सौंप दिया, जहां से कुछ दिन बाद वह फिर लापता हो गए।
समाजसेवियों की अपील – बेसहारा लोगों की मदद करें
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि एसएचओ ममता रघुवंशी की सक्रियता और मानवीयता की वजह से एक लापता बुजुर्ग को बचाया जा सका।