
Dhaka : बांग्लादेश की राजनीति में एक भूचाल आ गया है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने सोमवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन पर क्रूर दमन के लिए मानवता-विरोधी अपराधों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई। हसीना को अनुपस्थिति में (इन एब्सेंटिया) ट्रायल के बाद फांसी का आदेश दिया गया, जो देश के इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक फैसला है। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को भी फांसी, जबकि पूर्व आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल मामून को सहयोग के बदले 5 वर्ष की सजा मिली। हसीना की पहली प्रतिक्रिया दिल्ली से आई,
जहां वे निर्वासन में हैं: “यह फैसला एक धांधली वाले, पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित कोर्ट का है। ICT में कुछ भी अंतरराष्ट्रीय नहीं यह कंगारू कोर्ट है।” अवामी लीग ने राष्ट्रव्यापी बंद का ऐलान किया है, जबकि ढाका में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। फरवरी 2026 चुनावों से पहले यह फैसला अस्थिरता बढ़ा सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं इस सनसनीखेज फैसले की पूरी कहानी।
ICT का फैसला: 5 मामलों में फांसी, हसीना को ‘मास्टरमाइंड’ करार
ढाका के ICT-1 ने सोमवार सुबह 11 बजे लाइव प्रसारण में फैसला सुनाया। तीन जजों की बेंच जस्टिस गोलम मोर्तुजा मोजुमदार की अगुवाई में ने हसीना को जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन पर दमन के लिए दोषी ठहराया। आंदोलन जो कोटा रिफॉर्म से शुरू होकर हसीना सरकार के खिलाफ उफान मार गया में 1,400 से अधिक मौतें हुईं। ICT ने कहा, “हसीना ने ड्रोन, हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों का इस्तेमाल कर नागरिकों पर हमला करवाया। वे अपराधों की मास्टरमाइंड हैं उकसावे, आदेश और निष्क्रियता से।”
5 प्रमुख आरोप:
अनुच्छेद 3/7 उल्लंघन: हिरासत में हत्याएं और यातनाएं 200+ मामलों में हसीना का आदेश।
नागरिकों पर हमले: प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी, जिसमें छात्रों की मौत।
सामूहिक हत्याएं: जुलाई 2024 में 500+ मौतें, हसीना की ‘शूट ऑन साइट’ नीति।
अन्यायपूर्ण हिरासत: 10,000+ गिरफ्तारियां, जिसमें यातनाएं।
मानवता-विरोधी अपराध: आंदोलन को कुचलने के लिए सैन्य तैनाती।
अभियोजन पक्ष ने हसीना को ‘फासीवादी’ बताते हुए फांसी की मांग की। कमाल को भी फांसी, लेकिन मामून को 5 वर्ष (सहयोग के लिए छूट)। कोर्ट ने हसीना की सभी संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया। हसीना की अनुपस्थिति में ट्रायल चला, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर सवाल उठा रहा है।
हसीना की पहली प्रतिक्रिया: ‘धांधली का कोर्ट, अवामी लीग को खत्म करने की साजिश’
दिल्ली से जारी बयान में हसीना ने फैसले को खारिज करते हुए कहा, “यह एक धांधली वाले न्यायाधिकरण का फैसला है, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता अनिर्वाचित अंतरिम सरकार ने की है जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं। यह पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित है। ICT में कुछ भी अंतरराष्ट्रीय नहीं; यह निष्पक्ष नहीं।” उन्होंने दावा किया कि कोर्ट ने सिर्फ अवामी लीग सदस्यों पर मुकदमा चलाया, जबकि BNP और जमात-ए-इस्लामी जैसे विरोधियों की हिंसा को नजरअंदाज किया। “उनकी मौत की सजा की मांग में अतिवादी तत्वों का खुला इरादा झलकता है मुझे हटाकर अवामी लीग को खत्म करना। मैं मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों को बिना सबूत बताती हूं।” हसीना ने कहा कि वे “अच्छी नीयत से अराजकता नियंत्रित करने” की कोशिश कर रही थीं। उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय ने रॉयटर्स को बताया कि अगर पार्टी बैन न हटा, तो फरवरी चुनाव बाधित होंगे।
पृष्ठभूमि: 2024 आंदोलन का खूनी दमन, हसीना का पतन
यह मामला जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन से जुड़ा, जो कोटा रिफॉर्म से शुरू होकर हसीना के 15 वर्षीय शासन के खिलाफ विद्रोह बन गया। हसीना सरकार पर 1,400+ मौतों, 20,000+ गिरफ्तारियों और दमन का आरोप। सैन्य तैनाती, इंटरनेट ब्लैकआउट और ‘शूट ऑन साइट’ ऑर्डर ने आग में घी डाला। अगस्त 2024 में हसीना को सत्ता से बेदखल कर भागना पड़ा हेलीकॉप्टर से भारत पहुंचीं। नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने ICT को सक्रिय किया, जो 1971 युद्ध अपराधों के लिए स्थापित था। ट्रायल सितंबर 2024 में शुरू हुआ, जिसमें 100+ गवाह पेश हुए। हसीना ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया।
देश में तनाव: अवामी लीग का बंद, ढाका में ‘शूट ऑन साइट’ ऑर्डर, हिंसा की आशंका
फैसले के बाद ढाका में हाई अलर्ट है। अवामी लीग ने राष्ट्रव्यापी बंद का ऐलान किया, जबकि रविवार रात क्रूड बम विस्फोट हुए। पुलिस चीफ शेख मोहम्मद सज्जात अली ने “शूट ऑन साइट” ऑर्डर जारी किया। केंद्रीय ढाका में आर्मर्ड वाहन, दंगा रोकथाम बल और बॉर्डर गार्ड तैनात। BNP और जमात-ए-इस्लामी ने फैसले का स्वागत किया, लेकिन अवामी लीग समर्थकों ने इसे “फासीवादी साजिश” कहा। विशेषज्ञ चेतावनी: फरवरी चुनावों से पहले अस्थिरता बढ़ सकती है, खासकर अवामी लीग बैन के बीच। भारत ने स्थिति पर नजर रखी है।
प्रतिक्रियाएं: पीड़ित परिवारों का गुस्सा, अंतरराष्ट्रीय चिंता
पीड़ित परिवारों ने सजा को “अपर्याप्त” बताया। मिर मुग्धो (2024 आंदोलन में मारे गए) के भाई मिर महबूबुर रहमान ने कहा, “हजार फांसियां भी कम होंगी।” BNP नेता मिर स्निग्धो ने पूर्व आईजीपी की सजा पर अपील की मांग की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यूएन और ह्यूमन राइट्स वॉच ने ट्रायल की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। भारत ने हसीना को शरण दी है, जो द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है। अवामी लीग ने अपील का संकेत दिया, लेकिन ICT नियमों के तहत 30 दिनों में अपील और 60 दिनों में फैसला।















