शामली : पिटबुल के काटने से चाय विक्रेता की मौत, रैबीज का एक इंजेक्शन लगवाया था, जानें फिर क्यों नहीं बची जान

उत्तर प्रदेश के शामली जनपद के कांधला कस्बे में पिटबुल के हमले का शिकार हुए चाय विक्रेता की दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में मंगलवार को मौत हो गई। मृतक की पहचान मोहल्ला रायजादगान निवासी 55 वर्षीय राजीव शर्मा के रूप में हुई है। राजीव को करीब एक माह पहले एक हिंसक और पागल पिटबुल ने बुरी तरह से काट लिया था, लेकिन इलाज के दौरान एक अहम लापरवाही उनके जीवन पर भारी पड़ गई।

चेहरा नोच डाला था पिटबुल ने

राजीव शर्मा बुढ़ाना तिराहे पर चाय की स्टाल लगाते थे। उनके भतीजे सिद्धार्थ ने बताया कि 16 मई की शाम वे दुकान बंद कर घर लौट रहे थे, तभी एक उन्मत्त पिटबुल ने उन पर हमला कर चेहरे को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। मोहल्ले के लोग किसी तरह उन्हें बचाकर कांधला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले गए, जहां उन्हें एंटी रेबीज का पहला इंजेक्शन लगाया गया।

सीरम न लगवाना पड़ा भारी

डॉक्टरों ने परिजनों को सलाह दी थी कि पिटबुल के चेहरे पर काटने के मामले में सिर्फ इंजेक्शन काफी नहीं है, बल्कि रेबीज इम्यूनोग्लोब्युलिन सीरम (सीरम डोज) भी जरूरी होती है। इसके लिए राजीव को दिल्ली के हायर सेंटर भेजा गया था। मगर परिजनों ने सिर्फ एक डोज लगवाकर राजीव को सुरक्षित मानते हुए उन्हें घर वापस ले आए। उन्होंने सीरम नहीं लगवाया, जो रेबीज रोकने में अहम भूमिका निभाता है।

पांच दिन पहले बिगड़ी तबीयत, दिल्ली में मौत

लगभग एक महीने तक सामान्य रहने के बाद पांच दिन पहले राजीव की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन तब तक शरीर में रेबीज का संक्रमण फैल चुका था। एक अन्य प्राइवेट अस्पताल में स्थानांतरित करने के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और मंगलवार को उनकी मौत हो गई। गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

चिकित्सा विभाग ने झाड़ा पल्ला

सीएमओ डॉ. अनिल कुमार ने मामले की जानकारी से इनकार कर दिया। वहीं कांधला सीएचसी के डॉक्टर वीरेंद्र ने बताया कि राजीव को पहली डोज सीएचसी में ही दी गई थी, लेकिन परिजन बाकी दो डोज लगवाने नहीं आए, जबकि तीन डोज का कोर्स पूरा करना अनिवार्य होता है। इसी लापरवाही ने शायद उनकी जान ले ली।

खतरनाक नस्ल, फिर भी खुला घूम रहा था पिटबुल

स्थानीय लोगों ने इस बात पर गहरा रोष जताया है कि खतरनाक नस्ल का पिटबुल खुले में घूम रहा था। लोगों का कहना है कि इस पागल कुत्ते को किसने छोड़ा, इसकी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। पुलिस से शिकायत करने की बात भी कही जा रही है।

विशेषज्ञों की चेतावनी: घर में न पालें पिटबुल

पिटबुल एक खतरनाक और आक्रामक नस्ल का कुत्ता होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू परिवेश में पिटबुल को पालना असुरक्षित हो सकता है, खासतौर पर जहां छोटे बच्चे और बुजुर्ग रहते हों।

सीरम की व्यवस्था नदारद, मरीजों को बाहर भेजने की मजबूरी

कुत्ते या बंदर के अगर सिर, गर्दन या सीने पर काटने से गहरा घाव होता है, तो ऐसे मामलों में सीरम की डोज देना बेहद जरूरी होता है। मगर जिला अस्पताल और सीएचसी में इसकी व्यवस्था नहीं है। मरीजों को मेरठ या दिल्ली रेफर किया जाता है, जहां समय पर इलाज न मिलने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

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