Shahjahanpur : आखिर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के नाम से क्यों मनमानी कर रहे अधिकारी कर्मचारी…?

  • जनपद में अन्य नेताओं की क्यों नहीं सुनता प्रशासनिक अमला

Shahjahanpur : प्रदेश सरकार के कद्दावर नेता एवं वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना भले ही किसी गलत कार्य में लिप्त लोगों की सहायता के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों को फोन न करते हों, लेकिन जनपद के अधिकारी उनका नाम लेकर मनमानी पर उतारू हैं और खुलकर मनमानी भी कर रहे हैं। इसको लेकर चेयरमैन, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, विधायक और सांसद तक परेशान हैं।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के अंदरखाने कई नेता शीर्ष नेतृत्व से मिलकर घटते राजनीतिक प्रभाव और अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी की शिकायत कर चुके हैं। हालांकि हकीकत क्या है, यह कोई भी जनप्रतिनिधि वित्त मंत्री सुरेश खन्ना तक सीधे नहीं पहुंचा पा रहा है। इसका पूरा फायदा जनपद के अधिकारियों और कर्मचारियों को मिल रहा है।

कई उजागर, तो कई नेताओं ने चुपके से की CM योगी से मुलाकात

जनपद के अधिकारियों द्वारा नेताओं की बात को लगातार दरकिनार किया जाना नेताओं को नागवार गुजरा। अपने समर्थकों के साथ होते अन्याय के विरोध में कई नेताओं ने CM योगी से मुलाकात कर विकास कार्यों के बहाने प्रशासनिक रवैये पर चिंता जताई।
कुछ नेताओं ने अपनी मुलाकात को सार्वजनिक किया, जबकि कुछ ने इसे गोपनीय रखा। वास्तविकता क्या है, यह कहना मुश्किल है।

वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना की कार्यशैली और पहचान

शाहजहांपुर की राजनीति में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना एक कद्दावर और स्वच्छ छवि वाले नेता माने जाते हैं। वे लगातार नौ बार नगर विधानसभा से चुनाव जीत चुके हैं। पिछले आठ वर्षों में वे नगर विकास मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण विभाग संभालते रहे और वर्तमान में वित्त मंत्री के रूप में प्रदेश को नई पहचान दिलाने में जुटे हैं।
जानकारों के अनुसार, सुरेश खन्ना किसी भी ऐसे व्यक्ति की मदद नहीं करते जो किसी के साथ अन्याय कर रहा हो, लेकिन उनके नाम का सहारा लेकर अधिकारियों द्वारा जिले में अन्य भाजपा नेताओं की बात को दरकिनार किया जा रहा है।

थाने और तहसील की अव्यवस्थाओं से बिगड़ रही सरकार की छवि

किसी भी सरकार की छवि बनाने या बिगाड़ने में थाने और तहसील की अहम भूमिका होती है।
एक मिनट के काम के लिए महीनों तक चक्कर लगाने वाले पीड़ित सरकार की व्यवस्था पर नाराज होते हैं।
जनप्रतिनिधि भी जनता की समस्याएं लेकर अधिकारियों से फोन या पत्र के माध्यम से समाधान की मांग करते हैं, लेकिन चर्चा है कि उनकी बात को भी अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
जब हकीकत जानने की कोशिश की जाती है तो अधिकारी “खन्ना जी का निर्देश” कहकर मामला टाल देते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, मनमानी करने पर अधिकारी अक्सर वित्त मंत्री का नाम ढाल की तरह इस्तेमाल करते हैं।

समय रहते सुधार न हुआ तो BJP को हो सकता है बड़ा नुकसान

स्थिति यह बन चुकी है कि यदि पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी नेतृत्व ने जनपद में सरकारी छवि खराब करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की, तो विपक्षी दलों को इसका बड़ा राजनीतिक लाभ मिल सकता है।
जनपद में सबसे ज्यादा अव्यवस्थाएं थानों और तहसीलों में हैं, जहां न न्यायोचित कार्य हो पा रहे हैं और न ही दोषियों को सजा मिल रही है।

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