
झाँसी। जिले में मोंठ तहसील के ग्राम खजूरी में सरकारी आवास योजना के तहत लाभार्थी चयन में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। गांव के दिव्यांग अजय पुत्र धर्मेंद्र ने ग्राम प्रधान और सचिव पर 30 हजार रुपये मांगने का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़ित का कहना है कि जब उसने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो उसे अपात्र घोषित कर दिया गया।
- क्या है पूरा मामला?
अजय ने अधिकारियों को दी गई शिकायत में बताया कि वह दिव्यांग है और एक कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। सरकार ने उसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर आवंटित किया गया था, और उसका नाम लाभार्थियों की सूची में भी शामिल था। लेकिन ग्राम प्रधान और सचिव ने उससे 30 हजार रुपये की मांग की। जब उसने रकम देने से मना कर दिया, तो उसका नाम सूची से हटा दिया गया और उसे अपात्र घोषित कर दिया गया।
- विधायक ने लिया संज्ञान
पीड़ित अजय ने इस मामले की शिकायत अधिकारियों के अलावा क्षेत्रीय विधायक जवाहरलाल राजपूत से भी की। विधायक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए हैं।
- ग्रामीणों में आक्रोश
गांव के अन्य लोगों का कहना है कि सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है और पात्र लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। यदि प्रशासन ने समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की, तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे।
- सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार पर सवाल

यह मामला सरकारी योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करता है। गरीब और जरूरतमंद लोगों के हक पर इस तरह डाका डालना सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करता है और पीड़ित को न्याय मिलता है या नहीं।
- अधिकारियों का क्या कहना है?
सचिव उमाशंकर साहू ने बताया कि “उक्त व्यक्ति की मां को सरकारी आवास मिल चुका है। जब उसने स्वयं आवेदन किया तो उसपर जांच की गई। जिसमें पाया गया कि उसके पास दो पक्के कमरे हैं। जिसके चलते उसे अपात्र किया गया, इससे क्षुब्ध होकर उसने आरोप लगाए हैं।”