
लखनऊ : पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त किया जाए। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव को एक विस्तृत पत्र भेजकर मांग की है कि एनर्जी टास्क फोर्स के अध्यक्ष की हैसियत से वे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की चल रही प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करें।
संघर्ष समिति के अनुसार, बिजली कर्मी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार बिजली व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं और निजीकरण का निर्णय निरस्त होने पर द्विगुणित उत्साह के साथ बिजली कर्मी और बेहतर उपभोक्ता सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
निजीकरण और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में संघर्ष समिति के आह्वान पर 04 अगस्त को आंदोलन के 250 दिन पूरे होने पर सभी जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। समिति का कहना है कि निजीकरण के नाम पर उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ा घोटाला होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ईमानदारी को लेकर पूरे देश में एक विशेष पहचान है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। निजीकरण का निर्णय पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा दिए गए घाटे के आंकड़ों के आधार पर लिया गया था। हालांकि, पावर कॉरपोरेशन द्वारा दिए गए घाटे के आंकड़े सही नहीं हैं।
सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी की धनराशि को घाटे में शामिल कर दिया गया है और घाटे में सरकारी विभागों का राजस्व बकाया भी दिखाया गया है। पावर कॉरपोरेशन की बैलेंस शीट में यदि सब्सिडी की धनराशि और सरकारी विभागों के बिजली राजस्व के बकाये को जोड़ा जाए तो कुछ विद्युत वितरण निगमों में कोई घाटा नहीं रहता और कुछ में बहुत ही नगण्य घाटा रहता है।
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