‘शव के साथ दफन हो गया राज…’, रातों-रात दफना दिया गया था नवविवाहिता का शव, अब खुल रही साजिश की परतें!

प्रयागराज। एक शांत श्मशान घाट की मिट्टी अब गवाही दे रही है उस रहस्य की, जिसे दबाने की कोशिश शायद बहुत गहरी थी। लेकिन अब शंकरगढ़, रानीगंज, पगुवार गांव की 22 वर्षीय नवविवाहिता जीतू कुमारी की रहस्यमयी मौत और गुपचुप दफनाने की कहानी एक संभावित साजिश का शक पैदा कर रही है। बिना मायके वालों को सूचना दिए, रातों-रात शव को दफनाने की यह हरकत अब कानून की नज़रों में “साजिश के संकेत” के रूप में देखी जा रही है।

सवाल यह उठता है कि अगर मौत स्वाभाविक थी, तो शव को चुपचाप क्यों दफनाया गया? और मायके पक्ष को क्यों अंधेरे में रखा गया? थाना शंकरगढ़ क्षेत्र के रानीगंज पगुवार गांव निवासी राजलाल की पुत्री जीतू कुमारी की शादी एक वर्ष पूर्व, गांव के ही निखिल से हुई थी। बताया जाता है कि बीमारी के दौरान 10 जून 2025 को उसकी मृत्यु हो गई थी। लेकिन, मायके पक्ष का आरोप है कि उन्हें इस मृत्यु की सूचना तक नहीं दी गई। ससुराल पक्ष ने उसे आनन-फानन में जोरवट गांव स्थित श्मशान घाट पर दफना दिया।

मृतका के पिता, राजलाल पुत्र बुद्धिलाल, का आरोप है कि उनकी बेटी को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था, और यह मौत एक सुनियोजित हत्या हो सकती है, जिसे बीमारी का नाम देकर मिट्टी में दफना दिया गया। इस संबंध में जब शिकायत स्थानीय पुलिस, एसीपी बारा और डीसीपी यमुनानगर को दी गई, तो मामले को गंभीरता से लेते हुए, डीसीपी विवेक चंद यादव ने शव को खुदवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेजने का आदेश जारी किया।

आदेश के अनुपालन में, एसीपी बारा कुंजलता, थाना प्रभारी निरीक्षक ओमप्रकाश व फोर्स के साथ जोरवट श्मशान घाट पहुंचे। दोनों पक्षों के परिजनों को मौके पर बुलवाया गया और बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौजूदगी में शव को खुदवाकर बाहर निकाला गया। विधिक प्रक्रिया पूरी कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। अब पूरा मामला जांच के दायरे में है, और पुलिस की निगाहें पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर टिकी हैं।

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