तलाशो ! किसके हाथ में है मेयर के खिलाफ साजिशों का ‘रिमोट’….इशारों इशारों में साफ हो रही है तस्वीर

पार्टी के सम्मेलन में दहाड़े डा. उमेश गौतम – नीचता की हद पार कर चुके हैं कुछ लोग – मर्द हों तो सामने आकर लड़ें

मेयर की तरक्की से बंद हुई हैं कई नेताओं की राजनीतिक दुकानें

भास्कर ब्यूरो

बरेली। मेयर डॉ. उमेश गौतम लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। बरेली की भाजपा में इस वक्त उनका युग है। दूर दूर तक कोई नेता सामने खड़ा होने की हैसियत में नहीं है। कुछ के लिए यह हालात बेहद चुभन-दुखन से भरे हैं। रातों की नींद उड़ाने वाले हैं। अंदर के संकेत षड़यंत्रों से भरी गंदी राजनीति के हैं। अंग्रेजी में ऐसी राजनीति को ‘ब्लो द बैल्ट’ पॉलिटिक्स कहा जाता है यानी अमर्यादित – अनुचित राजनीति। आप खुद ही समझिये – मेयर पर एक महिला सनसनीखेज आरोप लगाती है, जो झूठे साबित होते हैं। कुछ वक्त बाद वही महिला फिर सामने आती है एक नई स्टोरी के साथ, मेयर को बेटे को घेरने के इरादे से। पुलिस झूठ पकड़ लेती है। महिला दो साथियों के साथ जेल चली जाती है मगर अपने पीछे एक गहरा और गंभीर सवाल छोड़कर – आखिरकार वह कौन हैं जिसके हाथ में मेयर के खिलाफ साजिशों का रिमोट है।

मेयर कल भाजपा के कैंट विधानसभा के सम्मेलन में थे। कैंट के विधायक संजीव अग्रवाल और मेयर डा. उमेश गौतम में दूरियां जगजाहिर हैं। विधायक प्रिय एक नेता ने मेयर के गले में माला डाली। मेयर ने मंच पर ही घेर लिया, कहा – आज माला डाल रहे है वैसे तो तुम तो कुछ और डालना चाहते थे। मंच और हाल में बैठे सभी सकते में आ गए। जब बोलने की बारी आई तब मेयर ने जमकर धुलाई की। कहा – मैं तो यह कहूंगा कि लोग शायद नीचता की हद पार कर चुके हैं, मैं उन्हें खुला चैलेंज करता हूं अगर मर्द हो तो सामने आकर लड़ो। यह छुपकर वार करके लड़ने की जरूरत नहीं। बोले – दोस्तों ! यह अपने ही गद्दार होते हैं, दूसरे की जरूरत नहीं होती। लेकिन फिर भी मैं भाजपा का सिपाही हूं और खुलकर बताऊंगा कि किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाने का नतीजा क्या होता है। अपने इस बहुचर्चित भाषण में मेयर ने पोस्टर पर फोटो लगाने के विवाद का भी जिक्र किया।

हालात से आहत और गुस्साये मेयर डा. उमेश गौतम ने इशारों ही इशारों में साफ कर दिया कि पार्टी के अंदर कुछ तो ऐसा है जिसकी पर्देदारी है। खबरों पर बारीक निगाहें रखने वाले भी मान रहे हैं कि मेयर के खिलाफ इतने गहरे षड़यंत्र बिना किसी की शह के नहीं हो सकते।

समझिये – षड्यंत्रकारी कौन – कहते हैं कि बिना मोटिव यानी उद्देश्य के कोई अपराध नहीं होता। उद्देश्य समझ लीजिए – षड़यंत्र समझ आ जायेगा। मेयर की चमचमाती राजनीति से कईयों की राजनीतिक दुकानें या तो फीकी पड़ गई हैं, या फिर पूरी तरह से बंद हो गई हैं। संगठन हो या सरकार ऐसे लोगों के लिए सभी जगह दरवाजे कस के बंद हैं। राजनीति में जाति और इलाके का बड़ा महत्व है, बारीक निगाहों से तलाश सही चेहरे या चेहरों तक पहुंचा देगी। भाजपा के जिम्मेदारों को यह भी ध्यान रखना होगा कि सही सवाल को सही वक्त पर हल कर ले क्योंकि 2027 भी अब ज्यादा दूर नहीं है।

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