शास्त्र और पुराण खोलते हैं रहस्य : क्यों खास है वास्तु और ज्योतिष का विज्ञान

नई दिल्ली । वास्तुशास्त्र के अनुसार, प्रत्येक दिशा और वस्तु किसी न किसी ग्रह के अधीन होती है, और यही कारण है कि कार्यस्थल में प्रयुक्त कुर्सी का रंग और उसकी सामग्री भी आपके रोजगार और आर्थिक स्थिति पर सीधा असर डालती है।

भारतीय संस्कृति के प्राचीन शास्त्रों और पुराणों में वास्तु और ज्योतिष के गहरे रहस्य छिपे हैं, जिन्हें जीवन में उतारकर मनुष्य सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त कर सकता है। वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि नकारात्मक रंगों और सामग्री की कुर्सी से कार्यक्षेत्र में रुकावटें और परेशानियां आ सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, काली कुर्सी या काले रंग का आसन दुर्भाग्य और कार्य में बाधाओं का कारण बन सकता है। भूरी और नीली कुर्सियाँ व्यापार में बार-बार उतार-चढ़ाव और हानि का संकेत देती हैं। इसी तरह लोहे की कुर्सी कारोबार में मंदी लाती है, जबकि एल्युमिनियम की कुर्सी अचानक आर्थिक नुकसान का प्रतीक मानी जाती है। इसके विपरीत, सकारात्मक रंगों और आसनों का चुनाव आपके लिए शुभ फल ला सकता है। हरी कुर्सी या हरे रंग का आसन धन आगमन को बढ़ावा देता है और व्यापार में उन्नति करता है। लाल रंग का कुशन या आसन तेजी से प्रमोशन और व्यवसायिक वृद्धि के योग बनाता है।

पीला कुशन रोजगार से जुड़ी बाधाओं को दूर करता है, जबकि सफेद कुशन कार्यस्थल की परेशानियों को कम करने में सहायक माना जाता है। वास्तु शास्त्र यह भी कहता है कि दक्षिण दिशा कार्यक्षेत्र से जुड़ी है और इस दिशा पर मंगल का प्रभाव रहता है। इसलिए यदि आपकी कुर्सी दक्षिण दिशा में रखी है, तो आपको विशेष ध्यान देकर रंग और सामग्री का चुनाव करना चाहिए, ताकि कार्य में अनावश्यक रुकावटों से बचा जा सके। कुल मिलाकर, कार्यस्थल में सही रंग और सामग्री की कुर्सी का चुनाव न केवल आपकी ऊर्जा और आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि आपके रोजगार और व्यापार की प्रगति में भी सहायक साबित होता है।

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