संस्कृत दिवस पर सम्मानित हुए काशी हिन्दू विवि के विद्वान

सेवानिवृत्त शोधार्थी परिषद संस्कृत विभाग ने किया सम्मान

LUCKNOW : संस्कृत विभाग, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा १६ सितम्बर २०२५ को “संस्कृतदिवसं शिक्षकदिवसञ्चाभिलक्ष्य सम्मानसमारोह: पुरस्कारवितरणञ्च” का आयोजन गरिमामय एवं उत्साहपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन एक ओर जहाँ संस्कृत भाषा की अमर संस्कृति और परम्परा को उजागर करने वाला रहा, वहीं दूसरी ओर शिक्षक दिवस की भावना को भी सार्थक करने वाला सिद्ध हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो० सुषमा घिल्डियाल (संकाय प्रमुख, कला संकाय, का.हि.वि.वि.) ने की

मुख्य अतिथि के रूप में प्रो० माया शंकर पाण्डेय (पूर्व संकाय प्रमुख, कला संकाय एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग का.हि.वि.वि.) उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि प्रो० श्रीकिशोर मिश्र (पूर्व संकाय प्रमुख, कला संकाय एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, का.हि.वि.वि.) थे।
प्रो० सदाशिव कुमार द्विवेदी (विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, कला संकाय, का.हि.वि.वि.) ने विभागीय परम्परा का परिचय देते हुए स्वागत भाषण दिया।

प्रो० शरदिन्दु कुमार तिवारी (संस्कृत विभाग, कला संकाय, का.हि.वि.वि.) कार्यक्रम के संयोजक के रूप में उपस्थित रहे। संस्कृत विभाग के सहायक आचार्या डॉ. सिद्धीदात्री भारद्वाज तथा सहायक आचार्य डाॅ. पवन कुमार पाण्डेय ने कार्यक्रम का संचालन किया। समारोह की शुरुआत वैदिक एवं पौराणिक मंगलाचरण, विश्वविद्यालय के कुलगीत, दीप-प्रज्ज्वलन तथा माँ सरस्वती एवं महामना मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई। इस क्रम ने आयोजन को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा प्रदान की।

संस्कृत विभाग के ९ सेवानिवृत्त आचार्यों —
प्रो० श्रीकिशोर मिश्र, प्रो० गोपबन्धु मिश्र, प्रो० मनुलता शर्मा, प्रो० सरस्वती सिंह, प्रो० उमेश प्रसाद सिंह, प्रो० ऊषा शर्मा, प्रो० करुणानन्द मुखोपाध्याय, प्रो० आनन्द कुमार श्रीवास्तव, डॉ. सुकुमार चट्टोपाध्याय — को विभाग द्वारा प्रशस्ति-पत्र, श्रीफल, मोमेंटो, अंगवस्त्र एवं पुष्पमाला प्रदान कर उनकी सुदीर्घ संस्कृतसेवा के लिए सम्मानित किया गया।

साथ ही विभागीय शोधच्छात्रों ने विभाग के सेवारत आचार्यों को मोमेंटो, अंगवस्त्र एवं पुष्पमाला अर्पित कर सम्मानित किया, जिससे गुरु–शिष्य परम्परा का जीवन्त उदाहरण प्रस्तुत हुआ।
संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को विभागाध्यक्ष द्वारा प्रमाणपत्र एवं प्रोत्साहन राशि प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। इससे विद्यार्थियों में सृजनशीलता एवं संस्कृत के प्रति अभिरुचि को नई ऊर्जा मिली।

आचार्या मनुलता शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा, “एक शिक्षक का व्यक्तित्व इतना विराट होता है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उसी से प्रेरणा लेकर हम आगे बढ़ते रहते हैं।”

आचार्य श्रीकिशोर मिश्र ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा, “आपको जीवनभर स्वाध्याय और प्रवचन अर्थात् प्राप्त ज्ञान को दूसरों में प्रसारित करने का प्रयास करना चाहिए।”

सम्पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन शोधार्थी परिषद्, संस्कृत विभाग, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। परिषद् के प्रमुख सदस्य विभाग के शोधच्छात्र — अथर्व पाण्डेय, अभिनेष मिश्र, अरुणेन्द्र त्रिपाठी, दीपक द्विवेदी, सिद्धार्थ तिवारी, भुआल, निर्मल आदि ने अपनी सक्रिय भागीदारी से कार्यक्रम को सफल बनाया।

यह आयोजन संस्कृत विभाग की समृद्ध परम्परा, गुरु–शिष्य सम्बन्धों की दृढ़ता एवं संस्कृत भाषा-संस्कृति के संवर्धन की ओर एक महत्त्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।

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