
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जस्टिस उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। इस रिपोर्ट में जले हुए नोटों के बंडलों की तस्वीरें भी शामिल हैं, जिनमें 4-5 बोरियों में अधजले भारतीय मुद्रा के ढेर पाए गए थे।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय मुद्रा के ढेर में जले हुए नोटों के टुकड़े थे, जो आग के कारण क्षतिग्रस्त हो गए थे। जस्टिस वर्मा ने अपनी सफाई में कहा कि उनके घर के स्टोररूम में न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी नकदी रखी थी। उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि यह घटना उनके और उनके परिवार के नियंत्रण से बाहर की थी।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव वर्मा ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की आंतरिक जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। इस समिति के गठन के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल उनके न्यायिक कार्यों से रोक दिया गया है।
जांच रिपोर्ट की मुख्य बातें
जस्टिस उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत 25 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि जले हुए नोटों के चार से पांच अधजले ढेर पाए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, इन नोटों की स्थिति बहुत खराब थी और इन्हें पुनः चलाने लायक नहीं माना जा सकता था। यह घटनाक्रम न्यायिक स्तर पर गंभीर संदेह पैदा कर रहा है, और जाँच समिति को इस पर गहराई से काम करना होगा।
तीन सदस्यीय जांच समिति
प्रधान न्यायाधीश संजीव वर्मा ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच के लिए जो समिति बनाई है, उसमें तीन सदस्य शामिल होंगे। इस समिति में उच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायधीश और एक सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं। समिति का काम जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की पूरी निष्पक्षता से जांच करना होगा और इस मामले में उचित कार्रवाई की सिफारिश करनी होगी।
यह मामला एक नए मोड़ पर है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाए हैं। जांच के परिणाम सामने आने के बाद मामले में और भी जानकारी मिल सकेगी।