
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपित उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर शुक्रवार को फिर सुनवाई टाल दी है। जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमानत याचिकाओं पर 22 सितंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।इसके पहले भी अदालत ने 12 सितंबर को सुनवाई टालते हुए कहा था कि उन्होंने अभी फाइल पढ़ी नहीं है। सभी आरोपितों ने दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2 सितंबर को उमर खालिद और शरजील इमाम, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर आरोपित देश के खिलाफ कार्रवाई करें, तो उनके लिए बेहतर जगह जेल ही है। मेहता ने कहा था कि दिल्ली में दंगे पूर्व नियोजित थे। दंगों की जिस तरह से योजना बनाई गई थी वो किसी को जमानत का हक नहीं देता है। ये कोई साधारण अपराध नहीं है, बल्कि सुनियोजित दंगों की साजिश रचने का मामला है। मेहता ने कहा था कि दंगों की साजिश रचने के आरोपी इसका प्रभाव पूरे देश में देखना चाहते थे।इस मामले के आरोपित उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि महज व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य होना किसी अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं है। उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने दिल्ली पुलिस की ओर से साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए व्हाट्स ऐप ग्रुप चैटिंग पर कहा था कि उमर खालिद तीन व्हाट्स ऐप ग्रुप में शामिल जरुर था, लेकिन शायद ही किसी ग्रुप में मैसेज भेजा हो। उन्होंने कहा था कि किसी व्हाट्स ऐप ग्रुप में शामिल होना भर किसी गलती का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा था कि उमर खालिद ने किसी के पूछने पर केवल विरोध स्थल का लोकेशन शेयर किया था। फरवरी, 2020 में दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे।