पावर सेक्टर को बचायें,निर्णायक संघर्ष को रहें तैयार: संघर्ष समिति

Lucknow : शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिए बिजली को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखने के लिए बिजली कर्मी निर्णायक संघर्ष के लिये तैयार हैं और आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ऑनलाइन हुई मीटिंग में सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर को बचाये रखने का संकल्प लिया गया ।

संघर्ष समिति ने शहीद ए आजम भगत सिंह की जन्म जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर यह संकल्प लिया कि शहीद ए आजम भगत सिंह और अनेकों क्रांतिकारियों के बलिदान के बाद स्वतंत्रता मिली है। इतने बलिदानों के बाद मिली स्वतंत्रता के बाद जनता की परिसंपत्तियों को कुछ चुनिंदा निजी घरानों के हाथ कौड़ियों के मोल बेचना क्रांतिकारियों के साथ विश्वासघात है। संघर्ष समिति का इसके विरोध में संघर्ष जारी रहेगा। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि बिजली अकेली सेवा है जो अलग अलग श्रेणी के उपभोक्ताओं को अलग अलग दाम पर मिलती है। इसका उद्देश्य यही है कि बिजली सबकी आवश्यकता है और गरीबों को लगत से कम मूल्य पर बिजली देने के लिये ही आजादी के बाद बिजली को सार्वजनिक क्षेत्र में रखा गया था ।

सार्वजनिक क्षेत्र में गरीब उपभोक्ताओं को नुकसान उठाकर लागत से कम दाम पर बिजली आपूर्ति की जा रही है। दूसरी ओर कारपोरेट घरानों के लिए बिजली एक व्यापार है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के लिए बिजली एक सेवा है।

इसीलिए बिजली के क्षेत्र में सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी का प्राविधान किया गया है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अन्तर्गत प्रदेश के सबसे गरीब 42 जनपद आते हैं। इन 42 जनपदों की बिजली कारपोरेट घरानों के हवाले कर देना प्रदेश के विकास के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ है।

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