
इस दुनिया कई ऐसी चीजे हैं जो सोचने पर मजबूर कर देती है इन्ही में से एक समुद्र का रंग भी है. जो कई सदियों से नीला ही दिखाई देता आ रहा है. पहले विज्ञान इतना विकसित नहीं था इसलिए पहले के जमाने को लोगो को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था लेकिन आज विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है. हम इस विषय को विज्ञान के माध्यम से जान सकते हैं. तो चलिए जानते है विज्ञान इस विषय के बारे में क्या कहता है.
जैसा कि हम सभी जानते है कि पानी का कोई रंग नहीं होता है मतलब पानी रंगहीन है पानी में जिस कलर को मिला दो वह उसी कलर का हो जाता है. हालाकि सागर का पानी कोई कलर मिलने की वजह से नीला नहीं है यह सूर्य से आने वाली किरणों की वजह से नीला दिखाई देता है.
दरअसल सूरज की सफेद किरणें समुद्र पर गिरती हैं और हम सभी जानते हैं कि सफेद रंग सात रंगों से मिलकर बना होता है. जो इंद्रधनुष के रंग भी होते हैं यानी बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल. आप इन रंगों को प्रिज्म के जरिये भी देख सकते है.
जब सूर्य की किरणें समुद्र पर पड़ती है तो सफ़ेद रौशनी में मौजूद सात रंगों में से लाल, पीला और हरा रंग समुद्र अवशोषित कर लेता है क्योंकि इनकी वेवलेंथ लम्बी होती है जबकि नीला रंग परावर्तित होकर बाहर आता है क्योंकि नीले रंग की वेवलेंथ छोटी होती है.
इस वजह से सागर के पानी का रंग नीला दिखाई देता है. ठीक इसी प्रकार आसमान भी नीला दिखाई पड़ता है क्योंकि यह सूर्य से आने वाली किरणों में नीले रंग की वेवलेंथ छोटी होने की वजह यह आसमान में मौजूद गैसों के कण, धूल कण आदि के द्वारा परावर्तित होकर फैल जाता है.
तो वजह अब आप जान गए होंगे. दरअसल पानी का कोई रंग नहीं होता लेकिन यह सूर्य के प्रकाश के कारण हमें नीला दिखाई देता है. सूरज की किरणों में मौजूद बैंगनी, जामुनी, हरा, पीला, नारंगी और लाल को तो समुद्र अवशोषित कर लेता है लेकिन नीले रंग की वेवलेंथ छोटी होने की वजह से यह परावर्तित हो जाता है. जिसकी वजह से समुद्र के पानी का रंग नीला दिखाई देता रहता है.















