साक्षी महाराज का चंद्रशेखर आजाद के बयान पर तीखा पलटवार, कहा ‘जिसका नाम रावण है, उससे क्या उम्मीद’

संगमनगरी में साधु-संतों और श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो चुका है। निर्मल अखाड़े के महामंडलेश्वर और बीजेपी सांसद साक्षी महाराज भी पहुंच चुके हैं। उन्होंने इस मौके पर गहरा आनंद व्यक्त किया और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद के बयान पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जिसका नाम ही रावण है, उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है।

नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद के बयान पर पलटवार

आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने महाकुम्भ पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यहां “पापी अपने पाप धोने आते हैं।” इस पर साक्षी महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जिसका नाम ही रावण है, उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है। महाकुम्भ केवल पवित्रता और आध्यात्म का पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। चंद्रशेखर आजाद जैसे लोगों को समझना चाहिए कि यह आयोजन केवल हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज को दिशा देने का कार्य करता है।”

अखिलेश यादव पर निशाना

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी नेताओं पर सवाल उठाते हुए साक्षी महाराज ने कहा, “यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि राम मंदिर निर्माण जैसे ऐतिहासिक क्षण पर विपक्ष के नेताओं ने न तो इसे समर्थन दिया और न ही मंदिर में दर्शन के लिए आए। राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर है।” उन्होंने यह भी कहा कि महाकुम्भ के दौरान मुलायम सिंह यादव की मूर्ति लगाए जाने का फैसला अनुचित है।

महाकुम्भ: आस्था और आध्यात्म का संगम

महाकुम्भ मेला, जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परम्पराओं का अद्भुत संगम है। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर इस बार का महाकुम्भ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि लाखों श्रद्धालु यहां गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने के लिए आएंगे। साधु-संतों के अलावा, देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस धार्मिक आयोजन में भाग लेने पहुंच रहे हैं।

साधु-संतों का पहुंचना शुरू

निर्मल अखाड़े सहित विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत पहले से ही कुम्भनगरी में डेरा डाल चुके हैं। महामंडलेश्वर साक्षी महाराज ने कहा, “महाकुम्भ न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह समाज को जोड़ने और धर्म के मूल्यों को स्थापित करने का एक मंच भी है। यह आयोजन उन सभी को आत्मिक शांति प्रदान करता है जो यहां पवित्र संगम में स्नान करते हैं।”

रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर गर्व

रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के अवसर पर साक्षी महाराज ने कहा, “आज यह पल अत्यधिक आनंद और उल्लास का है। यह वह सपना है जिसे लाखों राम भक्तों ने देखा और इसके लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। राम मंदिर का निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा मेरे लिए शब्दों में बयान करना मुश्किल है। मैं 9 वर्ष की आयु में ही रामलला को समर्पित हो गया था। आंदोलन के दौरान जब गोलियां चलाई गईं, तब मैंने अपने हाथों से शहीदों के शव उठाए। आज वह सब याद कर मन में गर्व का अनुभव होता है।”

आंदोलन से लेकर मंदिर निर्माण तक की यात्रा

साक्षी महाराज ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान के संघर्षों को भी याद किया। उन्होंने कहा, “मैंने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पल इस आंदोलन के साथ बिताए हैं। जब आंदोलन के दौरान पुलिस ने गोलियां चलाईं, तो मैंने खुद उन शहीदों के शव अपने हाथों से उठाए थे। यह केवल एक राजनीतिक या धार्मिक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह हर भारतीय के आत्मसम्मान का सवाल था।

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