
संत प्रेमानंद महाराज का छह दिवसीय जन्मोत्सव 25 से 30 मार्च तक श्रीराधाकेलिकुंज में धार्मिक अनुष्ठानों और भक्तिपूर्ण कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान देशभर से श्रद्धालु संत प्रेमानंद के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न तिथियों पर श्रीराधाकेलिकुंज आश्रम पहुंचेंगे।
जन्मोत्सव की खासियत: संत प्रेमानंद के जन्मोत्सव में विशेष बदलाव किए जाएंगे, जिसमें उनकी दिनचर्या में भी परिवर्तन किया जाएगा। भक्तों के लिए इस आयोजन में समय और तिथियों का विशेष ध्यान रखा गया है। इसके लिए आश्रम ने तिथिवार दर्शन कार्यक्रम की लिस्ट जारी की है, ताकि सभी श्रद्धालु संत प्रेमानंद के दर्शन का लाभ ले सकें।
श्रद्धालुओं के लिए दर्शन समय: संत प्रेमानंद के दर्शन केवल निर्धारित समय पर ही संभव होंगे। आश्रम ने अलग-अलग शहरों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दर्शन के अलग-अलग दिन तय किए हैं:
- 25 मार्च: वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, मथुरा, ब्रजक्षेत्र, अलीगढ़ के श्रद्धालु।
- 26 मार्च: उत्तरप्रदेश, समस्त ब्रज, आगरा, अलीगढ़ के श्रद्धालु।
- 27 मार्च: दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, पंजाब के श्रद्धालु।
- 28 मार्च: हरियाणा, केरल, उत्तराखंड, आसाम, आंध्रप्रदेश, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, हिमाचल, बिहार, गुजरात के श्रद्धालु।
- 29 मार्च: महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान के श्रद्धालु।
- 30 मार्च: रिवक्त परिकर को संत प्रेमानंद के दर्शन का लाभ मिलेगा।
दैनिक कार्यक्रम: जन्मोत्सव के दौरान कई धार्मिक और भक्तिपूर्ण कार्यक्रम होंगे:
- नाम संकीर्तन: सुबह 3 बजे से 4:15 बजे तक।
- सत्संग: सुबह 4:15 बजे से 5:30 बजे तक।
- संत प्रेमानंद के दर्शन: सुबह 5:30 बजे से 6:30 बजे तक।
- मंगल आरती, श्रीजी का झूला दर्शन: सुबह 6:30 बजे से 8:30 बजे तक।
- श्रीहित चतुरासी पाठ: 8:30 बजे से 9:15 बजे तक।
- शृंगार आरती, राधानाम कीर्तन: 9:15 बजे से 10:30 बजे तक।
- नाम संकीर्तन: शाम 4 बजे से 6 बजे तक।
- संध्या वाणी पाठ।
विशेष गाइडलाइन्स: श्रद्धालुओं के लिए कुछ गाइडलाइन्स भी जारी की गई हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा। इस अवसर पर श्रीराधाकेलिकुंज में सभी भक्तों को विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ कार्यक्रमों में शामिल होने का अवसर मिलेगा।
संत प्रेमानंद महाराज का यह जन्मोत्सव भक्तों के लिए एक विशेष अनुभव होगा, जिसमें वे दिव्य आशीर्वाद और संत प्रेमानंद की उपस्थिति का अनुभव कर सकेंगे।