सैफुल्लाह खालिद की कुंडली : पाकिस्तानी फौज का ‘गुलाम’, पहलगाम हमले की साजिश का सरगना

‘मंगलवार’ (22 अप्रैल 2025 को) कश्मीर घाटी के पहलगाम स्थित वहां का ‘मिनी स्विटजरलैंड’ समझे जाने वाले पर्यटन स्थल ‘बैसारन घाटी’ में, पाकिस्तान ने गैर-मुसलिमों के खून की जैसी दिल-दहलाने वाली होली खिलवाई, उसने इंसान-इंसानियत की छोड़िए. भारत सहित ब्रिटेन, रूस और अमेरिका जैसी सुपर-पावर्स को भी हिला दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस नरसंहार का जिम्मा लिया है पाकिस्तान की गोद में पले-बढ़े आतंकवादी संगठन और लश्कर-ए-तैयबा की पीठ पर सवारी गांठने वाले संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ यानी टीआरएफ ने.

इस संगठन का मास्टरमाइंड वही सैफुल्लाह खालिद है, जिसे पाकिस्तानी फौज और जो खुद ही खुद को पाकिस्तान आर्मी का मुंहलगा ‘गुलाम’ कहता है. आइए जानते हैं कि आखिर सैफुल्लाह खालिद है कौन, जो इस पहलगाम की खूनी होली के तुरंत बाद भारतीय खुफिया और जांच एजेंसियों की नजरों में चढ़ गया? खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ और भारतीय फौज की खुफिया एजेंसियों के पास इस हमले के तुरंत बाद जो इनपुट निकल कर आ रहा है, उसके मुताबिक सैफुल्लाह खालिद न केवल पाकिस्तानी फौज का मुंहलगा गुलाम है. अपितु वो भारत के दुश्मन नंबर वन और आतंकवादी संगठन हाफिज सईद (Most Wanted Terrorist Hafiz Saeed) का भी राइटहैंड है.

भारत के ‘दुश्मन’ हाफिज सईद का ‘दोस्त’
इसीलिए इस खूनी-दिमाग सैफुल्लाह आबिद को, हाफिज सईद ने अपने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ भी बना रखा है. जिसे (सैफुल्लाह खालिद) को लश्कर के भीतर लाड़-प्यार से सभी आतंकवादी सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जानते हैं. भले ही इसका नाम मंगलवार को पहलगाम में इसके पाले हुए गुर्गों द्वारा खेली गई खूनी होली के बाद, भारतीय एजेंसियों की नजरों में आया हो. इससे पहले भी मगर यह कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को गुपचुप तरीके से अंजाम दिलवाता रहा है.

पाकिस्तानी फौज का ‘चीफ-मिनिस्टर’
हिंदुस्तानी फौज और खुफिया एजेंसियों की तो यह नजर में था. चूंकि यह सामने आकर कभी खुद किसी आतंकवादी गतिविधि को अंजाम नहीं दे रहा था. इसलिए हिंदुस्तानी एजेंसियों इसे नजर में ताड़कर तो रख रही थीं. इसका अंदाजा शायद नहीं लग सका कि, यह इतना लोमहर्षक कांड भी पहलगाम में अंजाम दिलाने की औकात रखता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक सैफुल्लाह आबिद जिस कदर का खूनी दिमाग आतंकवादी है. उसे पाकिस्तानी फौज का उतना ही ज्यादा संरक्षण मिला हुआ है. जिसके चलते वो पाकिस्तान में वीवीआईपी ठाठ-बाट के साथ ऐसे घूमता हो जैसे मानो किसी सूबे का चीफ-मिनिस्टर हो.

पाक फौज के कर्नल ने बरसाए थे ‘फूल’
खबरों की माने तो कुछ दिन पहले ही यह खूनी मानसिकता वाला सैफुल्लाह आबिद, पाकिस्तान के पंजाब राज्य में स्थित कंगनपुर एक जिहादी जनसभा को संबोधित करने पहुंचा था. कंगनपुर में ही पाकिस्तान मिलिट्री की बटालियन भी मौजूद है. उस दिन इसे वहां पाकिस्तान फौज के कर्नल जाहिद जरीन खटक ने न सिर्फ ‘वेलकम’ भर किया. अपितु इस खूनी आतंकवादी के ऊपर फूल भी बरसाए थे. उसी जिहादी सभा में पाकिस्तान आर्मी के सामने, भारत को लेकर इसने आग उगली थी.

2026 तक कश्मीर पर कब्जे का ख्याली-ख्वाब
कहते हैं कि इसने भारत के खिलाफ खैबर पख्तूनख्वा में भी जहर उगला था. वहां जिहादी भाषण में बोला कि, “आज 2 फरवरी 2025 है. मैं वायदा करता हूं कि अगली यानी 2 फरवरी 2026 तक हम कश्मीर पर कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे. आने वाले चंद दिनों में ही वहां (भारत के हिस्से वाले कश्मीर में) हमारे मुजाहिदीन हमले तेज होते हुए देखने को मिलेंगे.” उस जिहादी जनसभा का आयोजन भी पाक मिलिट्री और भारत के प्रति हमेशा मैली-सोच रखने वाली, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने किया था.

एबटाबाद के टेररिस्ट कैंप में सैफुल्लाह
खुफिया एजेंसियों की मानें तो साल 2024 में एबटाबाद (पाकिस्तान) के जंगलों में आयोजित आतंकवादी कैंप में भी सैफुल्लाह आबिद मौजूद था. वहां तब, सैकड़ों की तादाद में पाकिस्तानी लड़के आतंकवाद की ट्रेनिंग ले रहे थे. उस आतंकवादी कैंप को लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक और एसएमएल विंग संचालित कर रही थी. इसी सैफुल्लाह ने उस कैंप में लड़कों का चयन आतंकवादी बनने के लिए किया था. बाद में उन्हीं लड़कों को कश्मीर में खून-खराबा करने के लिए ‘टारगेट किलिंग’ की ट्रेनिंग दी गई थी.

कौन है लश्कर का मुखौटा ‘टीआरएफ’?
भारत के गृह मंत्रालय ने कुछ वक्त पहले इस बात का खुलासा राज्यसभा में किया था कि, पाकिस्तान, आईएसआई और वहां के आतंकवादी संगठनों ने भारत की सख्ती का रुख भांप लिया है. इसलिए उन सबने मिलकर अपनी खाल बचाने के लिए “द रेजिस्टेंस फ्रेंट यानी टीआरएफ” को तैयार किया है. जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा बनकर, कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देगा. इससे भारत द्वारा, पाकिस्तान और वहां मौजूद आतंकवादी संगठनों की खाल उतारी जाने से बचती रहेगी. भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास मौजूद खुफिया जानकारी के अनुसार तो, इस टीआरएफ के पास दो विंग सबसे घातक हैं. पहली ‘फाल्कन स्क्वॉड’ और दूसरी ‘हिट स्क्वॉड’. इन दोनो की जिम्मेदारी बस और बस कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग को अंजाम देने भर की है.

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