ईडी की बड़ी कार्रवाई : ओ.पी. श्रीवास्तव की गिरफ्तारी से खुल सकते हैं बड़े राज

नई दिल्ली : ईडी ने सहारा समूह के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ओ.पी. श्रीवास्तव को करोड़ों–अरबों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने निवेशकों से जुटाई गई भारी धनराशि में गड़बड़ी की और शेल कंपनियों के माध्यम से फंड को इधर–उधर घुमाया। सुब्रत रॉय के निधन के बाद सहारा की कई संपत्तियों की बिक्री में भी उनकी संदिग्ध भूमिका होने की आशंका थी, जिसे लेकर एजेंसियां पहले से अलर्ट थीं।

जांच के दौरान 707 एकड़ जमीन की जब्ती के बाद श्रीवास्तव का नाम प्रमुखता से सामने आया और ईडी ने उनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी। गिरफ्तारी के बाद उम्मीद है कि इस बड़े घोटाले की कई परतें खुलेंगी और यह साफ हो सकेगा कि निवेशकों का पैसा किन चैनलों से होकर कहां पहुंचाया गया।

ईडी सूत्रों के अनुसार श्रीवास्तव से लंबी पूछताछ हुई, लेकिन उनके जवाब असंतोषजनक पाए गए। इसके बाद गुरुवार को उन्हें गिरफ्तार कर रात में ही बैंकशाल कोर्ट में पेश किया गया। शुक्रवार को उन्हें ईडी की विशेष अदालत में दोबारा पेश किया जाएगा। एजेंसी का कहना है कि श्रीवास्तव जांच के कई महत्वपूर्ण सवालों पर स्पष्ट जानकारी देने में विफल रहे।

निजी सचिव ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ खरीदने की पेशकश की थी
कुछ समय पहले ओ.पी. श्रीवास्तव तब भी चर्चा में आए थे, जब उनके निजी सचिव और सहारा इंडिया के अधिशासी निदेशक एस.बी. सिंह (प्रहरी) ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ अखबार (लखनऊ संस्करण) को खरीदने की पेशकश कर दी थी। एस.बी. सिंह लंबे समय तक अखबार में ‘धर्म-कर्म’ कॉलम लिखते रहे और बाद में मीडिया हेड सुमित राय की निकटता के चलते उन्हें सलाहकार संपादक बना दिया गया।

मामला तब विवादित हुआ जब उप प्रबंध कार्यकर्ता जेबी राय को इस खरीद प्रस्ताव की जानकारी मिली। उन्होंने समूह संपादक विजय राय से रिपोर्ट मांगी, जिन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें इस प्रस्ताव के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

इसके अलावा, एस.बी. सिंह ने यूपी सूचना विभाग से राज्य मुख्यालय पत्रकार मान्यता लेने की भी कोशिश की थी। पूर्व संपादक विकास शुक्ला ने उनके लिए प्रयास किया, लेकिन तत्कालीन सूचना निदेशक शिशिर सिंह ने यह कहकर आवेदन खारिज कर दिया कि कोई सलाहकार संपादक, जो 12–15 लाख रुपये मासिक वेतन लेता हो, पत्रकार मान्यता का पात्र नहीं हो सकता। बाद में चैनल के यूपी प्रमुख आलोक गुप्ता की सिफारिश पर दोबारा आवेदन किया गया, पर मान्यता फिर भी नहीं मिली।

जब यह प्रयास भी असफल रहा, तो एस.बी. सिंह ने सीधे ‘राष्ट्रीय सहारा’ लखनऊ संस्करण को खरीदने का प्रस्ताव दे दिया, जिससे सहारा प्रबंधन नाराज़ हो गया और जेबी राय ने इस कदम पर कड़ा विरोध जताया।

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