दुखद : ISRO के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष और भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के शिल्पकार डॉ. के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। 84 वर्षीय कस्तूरीरंगन पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर है।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर शोक व्यक्त करते हुए कहा—

“भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में एक मजबूत स्तंभ, डॉ. कस्तूरीरंगन के निधन से अत्यंत दुखी हूं। ISRO में उनके नेतृत्व ने हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनका राष्ट्र के प्रति योगदान अविस्मरणीय रहेगा।”

अंतरिक्ष विज्ञान में ऐतिहासिक योगदान

डॉ. कस्तूरीरंगन भारत के पहले पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘भास्कर I और II’ के परियोजना निदेशक थे। उन्होंने INSAT-2, IRS-1A/1B और कई वैज्ञानिक उपग्रहों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ISRO के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने PSLV और GSLV जैसे रॉकेटों के सफल प्रक्षेपण की अगुवाई की, जिसने भारत को स्वदेशी लॉन्च क्षमताओं में आत्मनिर्भर बनाया।

शिक्षा सुधारों के निर्माता

वैज्ञानिक उपलब्धियों से परे, डॉ. कस्तूरीरंगन ने भारत की शिक्षा प्रणाली में भी गहरा योगदान दिया। वे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष रहे। इस नीति ने भारतीय शिक्षा को नई सोच, बहुभाषी शिक्षण और व्यावसायिक कौशल की ओर मोड़ा।

सम्मान और दायित्व

  • ISRO सैटेलाइट सेंटर के निदेशक
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बेंगलुरु के निदेशक (2004-2009)
  • राज्यसभा सदस्य (2003-2009)
  • योजना आयोग के सदस्य
  • कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष
  • JNU के कुलाधिपति

भारत रत्न से कम नहीं उनका योगदान

डॉ. कस्तूरीरंगन को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से नवाजा गया।

अंतिम दर्शन के लिए अंतिम पड़ाव

उनका पार्थिव शरीर 27 अप्रैल को बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जहां देश के वैज्ञानिक समुदाय और आमजन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे।

भारत ने एक वैज्ञानिक ही नहीं, एक विचारक, एक मार्गदर्शक और एक युगपुरुष खो दिया है।
डॉ. के. कस्तूरीरंगन का जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।

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