महाराष्ट्र विधानभवन में हंगामा : भाजपा और शरद पवार गुट के समर्थकों में झड़प, दो गिरफ्तार

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में गुरुवार को भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और राकांपा (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड के समर्थकों के बीच हुई झड़प के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुंबई पुलिस ने उन्हें 21 जुलाई तक हिरासत में भेज दिया है। यह घटना उस समय घटी जब विधानसभा सत्र चल रहा था, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, यह झड़प विधान भवन परिसर की लॉबी में हुई, जहां दोनों गुटों ने एक-दूसरे पर लात-घूंसे चलाए। सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी मशक्कत से स्थिति को नियंत्रित किया। घटना का वीडियो सामने आने के बाद यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे सरकार और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

विपक्ष का हमला: “यह शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण”

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष और शिवसेना (उद्धव गुट) के एमएलसी अंबादास दानवे ने घटना को “शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा,

“अब यह केवल राज्य के बाहर की कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं रह गया है, यह अव्यवस्था अब विधानसभा के भीतर पहुंच चुकी है। विधायक अपने समर्थकों को उकसा रहे हैं।”

दानवे ने निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि सुरक्षा अधिकारियों को किसी भी प्रकार का पक्षपात नहीं करना चाहिए।

एंट्री पास बेचने का आरोप

शिवसेना (उद्धव गुट) के एमएलसी अनिल परब ने एक और सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि विधानभवन परिसर में प्रवेश पास ‘शुल्क लेकर’ बेचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा,

“विपक्ष ऐसे नाम उजागर करेगा, जो पैसे लेकर प्रवेश पास बेचने की इस व्यवस्था में शामिल हैं।”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पर्यटन मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा कि यदि यह सच है तो एमएलसी परब को उन अधिकारियों के नाम सार्वजनिक रूप से बताने चाहिए।

परंपरा और मर्यादा पर खतरा

शिवसेना मंत्री उदय सामंत ने विधान परिषद के सभापति राम शिंदे से आग्रह किया कि वे इस मामले में ध्यान दें। उन्होंने कहा,

“राज्य विधानमंडल के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। यह अध्यक्ष और सभापति का दायित्व है कि वे इस घटना पर कार्रवाई करें और परंपराओं की रक्षा सुनिश्चित करें।”

गौरतलब है कि इस हिंसक टकराव से एक दिन पहले भी दोनों विधायकों और उनके समर्थकों के बीच विधान भवन के बाहर तीखी बहस हुई थी, जो अगले दिन हिंसा में बदल गई।

इस पूरी घटना ने जहां कानून व्यवस्था और सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं विधायक स्तर पर राजनीतिक मर्यादा और परिपक्वता पर भी गंभीर चर्चा शुरू कर दी है।

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