‘RSS के हाथ में नहीं है BJP की कमान’, मोहन भागवत ने भाजपा अध्यक्ष चुनाव पर कह दी बड़ी बात

Mohan Bhagwat : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नए अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बयान दिया है।

गुरुवार शाम को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट कहा, “अगर बीजेपी की कमान वाकई RSS के हाथ में होती, तो नए अध्यक्ष का फैसला इतना लंबा नहीं खिंचता।”

यह बयान उस समय आया है जब बीजेपी में नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चा तेज़ है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव और संगठनात्मक व्यस्तताओं के कारण उन्हें दो बार कार्यकाल का विस्तार मिला है।

अब बीजेपी के सामने नेतृत्व परिवर्तन का समय है, और विपक्ष बार-बार यह आरोप लगाता रहा है कि पार्टी के फैसले RSS के निर्देश पर होते हैं। भागवत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि RSS अपने स्वयंसेवकों पर भरोसा करता है और सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं।

RSS और बीजेपी का रिश्ता कैसा?

RSS को अक्सर बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है। दोनों संगठनों का पुराना संबंध है, और कई बार RSS के स्वयंसेवक बीजेपी के रणनीतिकार के रूप में भूमिका निभाते आए हैं। हालांकि, मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि RSS, बीजेपी के दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करता। उन्होंने कहा, “हमारे बीच कोई झगड़ा नहीं है। कुछ मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, लेकिन निर्णय बीजेपी को ही लेने हैं।”

यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी को कई बड़ी चुनौतियों का सामना है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, जिसके बाद गठबंधन सरकार बनानी पड़ी। ऐसे में नए अध्यक्ष का चुनाव न केवल संगठन के लिए, बल्कि पार्टी की सियासी रणनीति के लिए भी अहम है।

ट्रंप टैरिफ पर मोहन भागवत का क्या कहना?

भागवत ने अमेरिकी टैरिफ के बाद स्वदेशी को बढ़ावा देने की अपील की, और सरकार को सलाह दी कि किसी के उकसावे में आकर निर्णय न लिया जाए। उन्होंने ट्रंप को भी चेतावनी देते हुए कहा कि दबाव में व्यापार नहीं करना चाहिए।

वह नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘100 वर्ष की संघ यात्रा, नए क्षितिज’ को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने लोगों से घरेलू उत्पादों का इस्तेमाल करने और स्वदेशी का समर्थन करने की अपील की।

भागवत ने कहा, “आत्मनिर्भरता अपने घर से शुरू होती है। जब हम स्वदेशी की बात करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम बाहरी चीजों से दूर हो जाएं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलता रहेगा, लेकिन उसमें दबाव नहीं, स्वेच्छा होनी चाहिए। इसलिए स्वदेशी को अपनाना जरूरी है। अपने घर की भाषा, वेशभूषा, भजन और भोजन अपनी परंपरा के अनुसार ही रहनी चाहिए। जहां जरूरी हो, अपनी भाषा के शब्दों का प्रयोग करें।”

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