
नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के मामले में आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई टाल दिया है। स्पेशल जज विशाल गोगने ने 11 दिसंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।
सीबीआई ने इस मामले के कुछ मृत आरोपितों को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की, जिसके बाद बुधवार काे कोर्ट ने 11 दिसंबर तक के लिए सुनवाई टाल दिया। इसके पहले 8 दिसंबर को कोर्ट को बताया गया था कि इस मामले के कुछ आरोपितों की मौत हो चुकी है। उसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को आरोपितों की मौत का वेरिफिकेशन कर कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने काे कहा था।
इससे पहले कोर्ट आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने पर दो बार 10 नवंबर और 4 दिसंबर को कोर्ट किसी न किसी वजह से फैसला टाल चुका है। कोर्ट ने सीबीआई के मामले में आरोप तय करने पर 25 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले में लालू यादव ने सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर को निरस्त करने और ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक की मांग के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया है। इस मामले की आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने प्रिंसिपल एंड डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष याचिका दायर कर जज विशाल गोगने की कोर्ट से दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। प्रिंसिपल एंड डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष याचिका दायर याचिका अभी लंबित है।
उच्चन्यायालयमें सुनवाई के दौरान लालू यादव के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए जरुरी अनुमति नहीं ली गई। ऐसे में पूरी जांच की गैरकानूनी है। बिना जरुरी अनुमति के जांच शुरु नहीं की जा सकती है। सिब्बल ने कहा था कि इस मामले में पूरी कार्यवाही ही गलत है। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कहा था कि लालू यादव की ओर से जानबूझकर ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर दलीलें नहीं रख रहे हैं।
उच्चतमन्यायालयने 18 जुलाई को ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। 7 अक्टूबर, 2022 को लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती समेत 16 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था। ट्रायल कोर्ट ने 25 फरवरी को सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। सीबीआई ने 7 जून, 2024 को इस मामले में अंतिम चार्जशीट दाखिल किया था जिसमें 78 लोगों को आरोपित बनाया गया है। इन 78 आरोपितों में से रेलवे में नौकरी पाने वाले 38 उम्मीदवार भी शामिल हैं।














