RMLIMS: सांप काटने से हर साल 49,000 लोगों की जाती है जान… झाड़-फूंक से नहीं सही इलाज से बचेगी जान

  • आरएमएल में सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा यूपी में सर्पदंश से बचाव पर कार्यशालाएं

लखनऊ: नाग पंचमी से ठीक एक दिन पहले डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (RMLIMS) ने सांप काटने से बचाव के लिए जागरूकता की पहल की है। सोमवार को कार्यशालाओं के द्वारा बचाव की विस्तार से जानकारी दी गई।

एक आंकड़े के मुताबिक हर साल देश में सांप काटने से करीब 49,000 लोगों की जान चली जाती है। उप्र में सबसे ज्यादा मौते होती हैं। लोग झाड़-फूंक और अंधविश्वास के चक्कर में काफी देर कर देते हैं जिससे मौत का आंकड़ा बढ़ जाता है। यूपी में काफी लोग एंटी-स्नेक वेनम सीरम की जानकारी भी नहीं रखते जिससे बरसात के दिनों में यह और भी घातक रूप ले लेता है।

सोमवार डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के सामुदायिक चिकित्सा विभाग ने, फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स नई दिल्ली के सहयोग से, उत्तर प्रदेश में सर्पदंश (सांप काटने) से बचाव पर केंद्रित तीन महत्वपूर्ण कार्यशालाओं के सत्रों का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. सीएम सिंह ने किया। विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. एसडी कंडपाल और आयोजन सचिव डॉ. मिली सेंगर ने कार्यक्रम की थीम और संचालन की जिम्मेदारी संभाली।

इन कार्यशालाओं में स्वास्थ्य प्रशासन, डॉक्टरों और मीडिया से जुड़े प्रमुख लोगों ने भाग लिया और सर्पदंश की रोकथाम और इलाज से जुड़े चिकित्सा, नीतिगत और जागरूकता संबंधी मुद्दों पर चर्चा की। कार्यशाला में डॉ. चंद्रकांत लहरिया, एसपीएचएस के संस्थापक निदेशक और प्रसिद्ध जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ ने राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों और राज्य स्तरीय रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. पंकज सक्सेना, संयुक्त निदेशक, डीजीएमएच, उत्तर प्रदेश सरकार व राज्य नोडल अधिकारी (सर्पदंश) ने सर्पदंश से बचाव और प्रबंधन से जुड़े हालिया अपडेट साझा किए।

डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने बताया कि यदि समय पर एंटी-स्नेक वेनम सीरम (ASVS) दिया जाए और मानकीकृत रेफरल प्रक्रिया अपनाई जाए, तो सर्पदंश से होने वाली मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में फैली भ्रांतियां और गलत प्राथमिक उपचार की जानकारी अक्सर समय पर इलाज में देरी करती है।

कार्यशाला में तीन प्रमुख समूहों पर विशेष सत्र रखे गए इसमें ..सरकारी अधिकारी: निगरानी तंत्र की कमजोरियों और विभिन्न विभागों के समन्वय पर चर्चा हुई। दूसरा, चिकित्सक: WHO दिशा-निर्देश, ASVS के उपयोग और केस-आधारित प्रबंधन पर चर्चा की गई और तीसरा मीडिया कर्मियों के साथ सर्पदंश पर सही रिपोर्टिंग और जन-जागरूकता के महत्व पर जानकारी दी गई।

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