
Patna : बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव परिणामों ने एक तरफ एनडीए को ऐतिहासिक जीत का स्वाद चखाया है, वहीं महागठबंधन खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर करारी हार का गहरा आघात हुआ है। 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए ने 202 सीटें हासिल कर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया, जबकि RJD को महज 25 सीटें नसीब हुईं यह 2020 की 75 सीटों से अभूतपूर्व गिरावट है। हार के सदमे के बीच RJD नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सोमवार को पटना में पार्टी विधायकों व हारे हुए प्रत्याशियों की महत्वपूर्ण बैठक बुला रहे हैं। यह बैठक उनके सरकारी आवास पर होगी, जहां चुनावी असफलता, संगठनात्मक कमजोरियों और भविष्य की रणनीति पर गहन चर्चा होगी। लेकिन इस बीच लालू परिवार में भाई-बहन के बीच छिड़ी जंग ने पार्टी को नई मुसीबत में डाल दिया है, जहां तेजस्वी के करीबी सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगे हैं।
एनडीए की भारी जीत: नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री, सरकार गठन की कवायद तेज
चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बिहार विधानसभा में एनडीए ने शानदार प्रदर्शन किया। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जिसने 101 में से 89 सीटें जीतीं यह 2020 की 74 सीटों से वृद्धि है। उसके सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) को 101 में से 85 सीटें मिलीं, जो 2020 की 43 से दोगुनी से अधिक हैं। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 29 में से 19 सीटें हासिल कीं, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) को 5, और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 1 सीट नसीब हुई। कुल मिलाकर, एनडीए का वोट शेयर बढ़कर 55% के पार पहुंच गया, जिसमें महिलाओं को 10,000 रुपये की सहायता योजना और विकास योजनाओं का बड़ा योगदान माना जा रहा है।
एनडीए नेताओं के अनुसार, सरकार गठन की प्रक्रिया 2-3 दिनों में शुरू हो जाएगी, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दसवीं बार शपथ लेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने रविवार को नीतीश से मुलाकात की, जबकि चिराग पासवान ने कहा, “नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे, शपथग्रहण 17-20 नवंबर के बीच संभव है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस समारोह में शामिल हो सकते हैं। विपक्षी दलों ने EVM और मतदाता सूची संशोधन (SIR) पर सवाल उठाए हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
RJD की हार पर मंथन: तेजस्वी की बैठक में क्या होगा एजेंडा?
RJD के लिए यह हार सबसे बुरी साबित हुई 2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद अब तीसरे नंबर पर खिसक गई। तेजस्वी यादव ने अपनी पारंपरिक सीट रघोपुर से तीसरी बार जीत हासिल की (11,000 वोटों से), लेकिन पार्टी का वोट शेयर महज 22% रह गया। सोमवार की बैठक में 25 नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा हारे हुए 118 प्रत्याशी शामिल होंगे।
स्रोतों के मुताबिक, चर्चा के प्रमुख बिंदु होंगे:
चुनावी रणनीति की समीक्षा: डिजिटल कैंपेन (AI वीडियो, मीम्स) और पिछड़ी जातियों पर फोकस के बावजूद क्यों असफलता मिली? प्राशांत किशोर जैसे सलाहकारों की भूमिका पर सवाल।
संगठनात्मक कमजोरी: टिकट वितरण में कथित भ्रष्टाचार और जमीनी फीडबैक की अनदेखी।
भविष्य की दिशा: 2025 लोकसभा चुनावों के लिए नई रणनीति, जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय पर जोर। RJD के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने कहा, “उतार-चढ़ाव तो होते रहते हैं, लेकिन हार के कारणों की जांच जरूरी है।” तेजस्वी ने हार को स्वीकार करते हुए कहा, “यह सेटबैक है, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी।
लालू परिवार में घमासान: रोहिणी के आरोपों से तेजस्वी कैंप पर संकट
चुनावी हार के साथ ही RJD में आंतरिक कलह ने जोर पकड़ लिया है। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने शनिवार को राजनीति छोड़ने और परिवार से ‘किनारा’ करने की घोषणा की, तो रविवार को तेजस्वी, उनके करीबी संजय यादव (राज्यसभा सांसद) और रमीज (चुनावी रणनीतिकार) पर गंभीर आरोप लगाए। रोहिणी ने X पर पोस्ट कर दावा किया कि उन्हें “गंदे किडनी” दान करने का ताना दिया गया जबकि 2022 में उन्होंने पिता लालू को किडनी दान की थी, बिना पति या ससुराल वालों से सलाह लिए। उन्होंने कहा, “मुझे गालियां दी गईं, चप्पल उठाकर धमकाया गया, और परिवार से निकाल दिया गया। अब मेरे पास कोई परिवार नहीं बचा।”
रोहिणी ने आरोप लगाया कि संजय यादव और रमीज ने उन्हें राजनीति छोड़ने और परिवार त्यागने के लिए मजबूर किया, तथा चुनावी टिकटों की बिक्री में लिप्त थे। रमीज पर “अपराधी मानसिकता वाला गैंगस्टर” बताते हुए कहा कि उनके ससुर रिजवान जहीर हत्या केस में जेल में हैं। रोहिणी ने विवाहित महिलाओं को चेतावनी दी, “माता-पिता के लिए ऐसी कुर्बानी न करें, भाई संभाल लेंगे।” वे पटना एयरपोर्ट से सिंगापुर रवाना हो चुकी हैं।
बड़े भाई तेज प्रताप यादव (जिन्हें पहले ही RJD से निकाल दिया गया था) ने रोहिणी के समर्थन में कहा, “बहन का अपमान असहनीय है, दिल टूट गया।” लालू की अन्य बेटियां राजलक्ष्मी, रागिनी और चंदा भी दिल्ली चली गईं। BJP ने इसे “पितृसत्तात्मक व्यवहार” बताते हुए तंज कसा, जबकि चिराग पासवान ने परिवारिक सुलह की कामना की। RJD नेताओं ने इसे “निजी मामला” बताया, लेकिन बैठक में यह मुद्दा छाया रह सकता है।














