आर.जी. कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सीबीआई ने 29 नवंबर 2024 को अलीपुर अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष का नाम शामिल था। चूंकि संदीप राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए सरकार की स्वीकृति आवश्यक थी, जो हाल ही में मिली है।
हालांकि, सीबीआई ने इस स्वीकृति की जानकारी पहले कोलकाता उच्च न्यायालय को दी, जबकि अलीपुर अदालत को सूचित नहीं किया। इससे अलीपुर अदालत नाराज हो गई और सीबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी किया। अदालत ने सीबीआई के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि स्वीकृति मिलने के बाद चार्जशीट की प्रक्रिया रुकी हुई है, इसलिए पहले ट्रायल कोर्ट को सूचित किया जाना चाहिए था।
सीबीआई ने बताया कि उन्हें 27 जनवरी की शाम को स्वीकृति मिली, जिसके बाद वे इसे जांच रहे थे, इसलिए अलीपुर अदालत को सूचित नहीं किया गया। इस पर अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को बाईपास करके उच्च न्यायालय को सूचित किया? मैं कारण बताओ नोटिस जारी करूंगा। जो भी कहना है, लिखित में बताएं।
अन्य पार्टी अफसर अली के वकील सोहिनी अधिकारी ने कहा कि नवंबर में चार्जशीट दाखिल की गई थी। राज्य की स्वीकृति मिलने के बाद भी ट्रायल कोर्ट को सूचित क्यों नहीं किया गया? यह नहीं होना चाहिए था। सीबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उन्हें इसका लिखित जवाब देना होगा।
आर.जी. कर अस्पताल की महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप सामने आए थे। इस मामले में पहले संदीप को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद बिप्लव सिंह, अफसर अली और सुमन हाजरा को भी गिरफ्तार किया गया। इस मामले में अंतिम गिरफ्तारी आशीष पांडे की हुई थी। सभी आरोपित वर्तमान में जेल में हैं।
दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपित संजय राय को दोषी ठहराते हुए सियालदह अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में आरोपित होने के बावजूद, सीबीआई ने संदीप और टाला थाने के ओसी अभिजीत मंडल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिसके कारण उन्हें जमानत मिल गई। हालांकि, वित्तीय अनियमितताओं के मामले में संदीप अभी भी जेल में हैं। उनकी न्यायिक प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी।