
शिमला : सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित कश्यप को केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अपीलीय ट्रिब्यूनल में सदस्य नियुक्त किया है। यह नियुक्ति हिमाचल प्रदेश की राज्य पीठ के लिए की गई है। इसका मुख्यालय शिमला में होगा। केंद्र सरकार ने यह आदेश मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की मंजूरी के बाद जारी किए हैं। यह नियुक्ति चार साल की अवधि के लिए होगी या फिर 67 वर्ष की आयु तक जो भी पहले पूरी हो।
अधिसूचना के अनुसार अमित कश्यप का चयन एक चयन समिति द्वारा किए गए साक्षात्कार के बाद किया गया। इस चयन समिति की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने की थी। नियुक्ति के बाद उन्हें चार सप्ताह के भीतर जीएसटी ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ, नई दिल्ली में कार्यभार संभालने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि वह शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश की राज्य पीठ में अपनी सेवाएं देंगे।
अमित कश्यप दिसंबर 2023 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। अपने लंबे प्रशासनिक करियर में उन्होंने हिमाचल प्रदेश में कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। वह शिमला के उपायुक्त, उद्योग निदेशक, पर्यटन निदेशक, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक, श्रम आयुक्त, हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। प्रशासनिक सेवा में आने से पहले उन्होंने भारतीय सेना में कमीशंड अधिकारी के रूप में भी देश की सेवा की है।
प्रशासनिक और सार्वजनिक जीवन में अमित कश्यप को एक मेहनती, ईमानदार और कार्यकुशल अधिकारी के रूप में जाना जाता है। विशेषकर कोविड-19 महामारी के दौरान शिमला के उपायुक्त के रूप में उनके काम की व्यापक सराहना हुई थी। उस कठिन समय में उन्होंने प्रशासन और आम लोगों के बीच बेहतर तालमेल बनाते हुए जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाया।
यह भी उल्लेखनीय है कि इसी साल जून महीने में हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अमित कश्यप को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी रेरा में सदस्य नियुक्त किया था। अब केंद्र सरकार की ओर से उन्हें जीएसटी ट्रिब्यूनल में नई और अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नए जीएसटी कानून के तहत किया गया है। देश में इसका एक राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में है, जबकि सभी राज्यों में इसकी राज्य पीठें बनाई गई हैं। इन ट्रिब्यूनलों का उद्देश्य कर से जुड़े मामलों का समय पर निपटारा करना और कर व्यवस्था में पारदर्शिता लाना है।
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