दो बार सीएम पद से इस्तीफा…जानिए कैसा रहा अरविंद केजरीवाल का राजनैतिक सफर

kajal soni

अरविंद केजरीवाल, जिनकी राजनीतिक यात्रा आम आदमी पार्टी (AAP) के गठन के बाद से चर्चा में रही है, अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनैतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा के बाद वह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया है। इससे पहले, 2013 में भी उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन उस वक्त की स्थिति और अब की स्थिति में बड़ा फर्क है।

कहा से हुई राजनीति की शुरुआत ?

अरविंद केजरीवाल की राजनीति की शुरुआत अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हुई थी। अन्ना आंदोलन ने उन्हें देशभर में पहचान दिलाई, और उसी दौरान केजरीवाल ने अपने नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन किया। यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने संघर्ष को मजबूत करने की ओर एक कदम था। 2013 में दिल्ली में पहले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने अपने दम पर 70 में से 28 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की। इसके बाद आप ने कांग्रेस से गठबंधन किया और दिल्ली में सरकार बनाई।

2013 में दिया था इस्तीफा

हालांकि, इस सरकार का कार्यकाल महज 49 दिन ही चल पाया। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया, क्योंकि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल बिल को पास कराने में सफल नहीं हो पाए थे। यह उनके नेतृत्व के लिए एक बड़ा झटका था, और उन्हें आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा को जारी रखते हुए पार्टी को और मजबूत बनाने के लिए प्रयास किए।

2015 में वापसी और ऐतिहासिक जीत

2015 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और 70 में से 67 सीटें जीतीं। इस बार केजरीवाल ने दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस जीत के साथ ही उन्होंने पार्टी की साख को फिर से मजबूत किया। लेकिन इस सफलता के बावजूद, पार्टी के अंदरुनी संघर्षों ने सिर उठाना शुरू किया। 2015 में, आप के संस्थापक सदस्य जैसे योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और प्रो. आनंद कुमार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, जिनमें आशीष खेतान और आशुतोष जैसे नेता शामिल थे। कुमार विश्वास, जो पहले केजरीवाल के करीबी सहयोगी थे, उन्होंने भी पार्टी से दूरी बनानी शुरू कर दी। इन संघर्षों के बावजूद, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम चुनावों में भी सफलता हासिल की। 2022 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आप ने 250 में से 134 सीटें जीतीं, और इस प्रकार आप ने अपनी स्थिति को मजबूत किया।

पंजाब में ऐतिहासिक जीत

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने 2022 में पंजाब विधानसभा चुनावों में भी ऐतिहासिक जीत हासिल की। आप ने 117 सीटों में से 92 सीटें जीतीं, जो एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि मानी जाती है। इस जीत ने आम आदमी पार्टी को पंजाब में अपनी ताकत बढ़ाने का मौका दिया, और केजरीवाल की छवि को एक बड़े राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया।

जानिए चुनौतियाँ और असफलताएँ

हालांकि, गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, और पार्टी को केवल 5 सीटें मिलीं। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई और उसके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। इन चुनाव परिणामों ने यह स्पष्ट किया कि कुछ राज्यों में पार्टी को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, और यह भी दिखाया कि हर राज्य में आम आदमी पार्टी के लिए स्थिति अलग होती है।

केजरीवाल का इस्तीफा: रणनीति या वास्तविकता?

अरविंद केजरीवाल का हालिया इस्तीफा, जो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से लिया गया, एक राजनीतिक रणनीति हो सकती है, लेकिन यह उनके पिछले अनुभवों को भी दर्शाता है। जैसे उन्होंने 2013 में इस्तीफा दिया था, और फिर 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया, वैसे ही अब भी उनका राजनीतिक सफर जारी है। उनका यह इस्तीफा आगामी समय में उनके राजनीतिक कदमों को लेकर कई अटकलों का कारण बन सकता है। यह देखा जाएगा कि वे इस इस्तीफे के बाद कैसे स्थिति को संभालते हैं और पार्टी को भविष्य में किस दिशा में ले जाते हैं।

क्या होगा पार्टी का भविष्य

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में और अन्य राज्यों में पार्टी के माध्यम से कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। उनकी रणनीतियाँ, उनकी घोषणाएँ और उनके निर्णय पार्टी की दिशा को प्रभावित करते हैं। अब जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका अगला कदम क्या होगा। वे अपनी पार्टी को भविष्य में किस तरह से दिशा देंगे और उनके इस्तीफे के बाद उनका राजनीतिक सफर कैसे आगे बढ़ेगा, यह सब एक बड़ा सवाल है।

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