
शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों की तैयारियां तेज हो गई हैं। प्रदेश सरकार ने सीटों और पदों के आरक्षण को लेकर नई अधिसूचना जारी कर दी है। यह अधिसूचना हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (निर्वाचन) नियम, 1994 में किए गए संशोधनों पर आधारित है और इसका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना है। आरक्षण की गणना का आधार 2011 की जनगणना को बनाया गया है। पंचायती राज विभाग ने उपायुक्तों को पंचायती राज चुनाव आरक्षण रोस्टर जारी करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये हैं। पंचायत चुनाव इस वर्ष के अंत या अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों विधानसभा के मानसून सत्र में साफ किया है कि पंचायत चुनाव समय पर होंगे और इनमें किसी तरह की देरी नहीं की जाएगी।
नई अधिसूचना के अनुसार ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद तक सभी स्तरों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। महिलाओं के लिए सभी स्तरों पर 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। यह आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग की महिलाओं को उनकी जनसंख्या की प्रतिशतता के आधार पर मिलेगा। पंचायत समिति और जिला परिषद स्तर पर भी यही व्यवस्था लागू होगी। हालांकि, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा और यह तभी लागू होगा जब उस वर्ग की जनसंख्या पांच प्रतिशत से ज्यादा हो।
ग्राम पंचायतों और विकास खंडों में प्रधान पदों का आरक्षण भी नई अधिसूचना के तहत विकास खंड को एक इकाई मानकर किया जाएगा। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए प्रधान पद उनके क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित होंगे और इनमें से आधे पद महिलाओं के लिए होंगे। जिन पंचायतों में इन वर्गों की जनसंख्या पांच प्रतिशत से कम होगी, वहां प्रधान पद आरक्षित नहीं होंगे। इसी तरह पिछड़ा वर्ग को भी उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रधान पद मिलेंगे, लेकिन यह कुल 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे। पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित पद उन पंचायतों में तय होंगे जहां महिलाओं की अधिकतम प्रतिशतता होगी।
अधिसूचना में उदाहरण देकर बताया गया है कि यदि किसी विकास खंड में कुल पंचायतों की संख्या 41 है, तो इनमें से 21 पंचायतों में प्रधान पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए तय आरक्षण लागू होने के बाद शेष पद सामान्य वर्ग की महिलाओं को उनकी जनसंख्या के अनुपात के घटते क्रम में मिलेंगे।
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