
नई दिल्ली )। आम धारणा बनी हुई है कि यह दुनिया की सबसे महंगी करेंसी अमेरिकी डॉलर है, लेकिन यह सच नहीं है। अमेरिकी डॉलर टॉप 10 में तो आता है, लेकिन सबसे अधिक मूल्यवान नहीं है। आश्चर्यजनक रूप से, डॉलर इस सूची में 10वें स्थान पर है, जबकि ब्रिटिश पाउंड पांचवें स्थान पर आता है।
दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा कुवैती दिनार (केडब्ल्यूडी) है, जिसकी मौजूदा विनिमय दर 283.35 भारतीय रुपये प्रति दिनार है। कुवैत की आर्थिक स्थिरता, विशाल तेल भंडार और टैक्स-फ्री सिस्टम के कारण कुवैती दिनार विश्व की सबसे मूल्यवान मुद्रा बनी हुई है। यही कारण है कि भारत समेत कई अन्य देशों के लाखों लोग रोजगार के लिए कुवैत जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति कुवैत में काम करके हर महीने 1000 कुवैती दिनार कमाता है, तो भारतीय रुपये के अनुसार उसकी आय करीब 2,83,354 रुपये होती है।
कुवैत में औसत मासिक वेतन 404 केडब्ल्यूडी से लेकर 1,600 केडब्ल्यूडी तक होता है, जो नौकरी के प्रकार, अनुभव और उद्योग के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। एक आईटी इंजीनियर की औसत सैलरी 626 केडब्ल्यूडी प्रति माह होती है, जबकि ग्रेजुएट्स को औसतन 500 केडब्ल्यूडी तक का वेतन मिलता है। वहीं, स्किल्ड भारतीय कामगारों का औसत वेतन 1,260 केडब्ल्यूडी प्रति माह तक हो सकता है। कुछ भारतीय पेशेवरों को 5,640 केडब्ल्यूडी प्रति माह तक की सैलरी भी मिलती है। दीनार केवल कुवैत की मुद्रा नहीं है, बल्कि यह बहरीन और जॉर्डन की आधिकारिक मुद्रा भी है।
हालांकि, इनमें सबसे अधिक मूल्य कुवैती दिनार का ही है। दुनिया की दूसरी सबसे महंगी मुद्रा बहरीन दिनार है, जिसके बाद ओमानी रियाल, जॉर्डन दिनार (जेओडी) और फिर ब्रिटिश पाउंड (जीबीपी) का स्थान आता है। कुवैत की मजबूत अर्थव्यवस्था और स्थिर विनिमय दर इसे वैश्विक वित्तीय बाजार में महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है। हर साल लाखों भारतीय रोजगार के लिए खाड़ी देशों का रुख करते हैं, जिनमें कुवैत, कतर, बहरीन और सऊदी अरब प्रमुख गंतव्य हैं। खाड़ी देशों में उच्च वेतन और कर-मुक्त आय जैसी सुविधाएं भारतीय कामगारों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।