
वर्तमान में केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से शोषण का सामना कर रहें हैं। पुरुषों को भी सामाजिक बलात्कार और हिंसक प्रवृत्तियों का सामना करना पड़ता है। एक समय था जब केवल महिलाओं के साथ शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण होता था। लेकिन अब यह कहना गलत होगा, क्योंकि हाल ही में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने समाज को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि अब समाज में पुरुष भी समान रूप से शोषित हो रहे हैं। जिसकी वजह महिलाओं का आत्मनिर्भर होना पाया गया है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के अधिकारों और समानता की लड़ाई के चलते समाज में कई मानदंड और धारणाएं बनती जा रही है जो कभी-कभी पुरुषों के खिलाफ भी कार्य कर सकती हैं। समाज में पुरुषों से भी कई अपेक्षाएं होती हैं, जैसे कि उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत रहना चाहिए, जो कई बार उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
आधुनिक समाज में कई पुरुषों को अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए बहुत दबाव महसूस होता है। यदि वे विशिष्ट मानदंडों के अनुसार नहीं चलते हैं, तो उन्हें अपमानित किया जा सकता है। कई बार कार्यस्थल पर पुरुषों के बीच प्रतिस्पर्धा इतनी तीव्र होती है कि वे एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो जाते हैं और इस प्रकार शोषण का अनुभव करते हैं।
पुरुषों को अक्सर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई होती है, जिसके कारण वे कई कठिनाइयों का सामना अकेले करते हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। जैसे-जैसे समाज में महिलाएं शिक्षा, कार्य और अधिकारों के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, पुरुषों को अपनी भूमिकाओं को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता हो सकती है, जो कभी-कभी तनाव का कारण बनता है। कुछ पुरुषों का अनुभव हो सकता है कि स्त्रीवाद के बढ़ते प्रभाव के कारण उनके अधिकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसका प्रभाव उनके आत्म-सम्मान और स्थिति पर पड़ सकता है।
पुरुषों का शोषण होने के कारण
समाज में पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वे मजबूत, सहनशील और भावनात्मक रूप से मजबूत हों। यही कारण है कि कई पुरुष अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते, और जब उन्हें शोषण का सामना करना पड़ता है, तो वे उसकी रिपोर्ट नहीं कर पाते। ऐसे कई मामलों में, जब पुरुषों के खिलाफ असत्य आरोप लगाए जाते हैं, तो न्याय प्रणाली में भेदभाव हो सकता है। इसकी वजह से कई पुरुष अपने अधिकारों के लिए लड़ने से कतराते हैं।
पुरुष कई बार पारिवारिक जिम्मेदारियों की पूर्ति करने के दबाव में होते हैं और इस कारण उनके कार्यस्थल पर शोषण का शिकार होना आम बात है। पुरुषों को अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते समय कम समर्थन मिलता है। यह उन्हें अलग-थलग महसूस करवा सकता है और शोषण की स्थिति से बाहर आने में कठिनाई कर सकता है।
भारतीय कानून में पुुरुषों के शोषण के खिलाफ क्या है प्रावधान
IPC के तहत कई धाराएं हैं जो पुरुषों के खिलाफ शोषण के मामलों को कवर करती हैं, जैसे कि धोखाधड़ी, शोषण, दैहिक हिंसा आदि।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, और 21 में सभी नागरिकों को समानता, गैर-भेदभाव और जीवन के अधिकार की गारंटी दी गई है। ये अधिकार उन पुरुषों के लिए भी लागू होते हैं जो शोषण का शिकार होते हैं।
यद्यपि यह कानून महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करता है, लेकिन कई पुरुष ऐसे मामलों में फंसते हैं जहां उन पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं। ऐसे में IPC के अंतर्गत वे अपनी रक्षा कर सकते हैं।
भारत में पुरुषों के लिए भी कई सहायता केंद्र और हेल्पलाइन्स बनाई गई हैं, जो शोषण का सामना कर रहे पुरुषों की मदद कर सकते हैं।