रिपोर्ट : कोचिंग हब के नाम से मशहूर कोटा हुआ विरान, छात्रों की संख्या में भारी गिरावट

जिसका सीधा असर लोकल अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा


कोटा । देश में कोचिंग हब के नाम से मशहूर कोटा वर्तमान में गंभीर संकट से गुजर रहा है। इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रसिद्ध शहर में छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है, जिसका सीधा असर लोकल अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। कोटा के विभिन्न इलाकों, खासकर कोरल पार्क में, सैकड़ों पीजी हॉस्टल और इमारतें खाली पड़ी हैं। किराए और बेचने के बोर्डों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। पहले जिन इमारतों में छात्रों की चहल-पहल रहती थी, लेकिन वहां सन्नाटा पसरा है। निवेशकों और डेवलपर्स के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कोटा में 1,75,351 छात्र कोचिंग के लिए आए थे, जबकि 2024-25 में यह संख्या घटकर 1,22,616 रह गई है। यह लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है।


कोटा में करीब 4500 पीजी हॉस्टल हैं, जिनकी ऑक्यूपेंसी पहले 85-100 प्रतिशत होती थी, जो अब 40-60 प्रतिशत तक गिर गई है। इसी तरह, 1500 से अधिक मेस और खाने-पीने की दुकानों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। पहले जहां पीजी मालिकों की मासिक आय 3 लाख रुपये तक होती थी, वह अब 30,000 रुपये तक सीमित रह गई है। फल और ठेले वाले भी इससे प्रभावित हुए हैं।
कोटा में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं भी गिरावट का एक बड़ा कारण बनी हैं। 2023 में 27 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2024 में यह संख्या 16 रही। 2025 में अब तक 6 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। छात्रों पर माता-पिता की अपेक्षाओं और कठोर प्रतिस्पर्धा का दबाव बढ़ रहा है, जिससे वे मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। देश के अन्य भागों में कोचिंग संस्थानों के खुलने से भी कोटा के कोचिंग उद्योग पर असर पड़ा है। पटना, सीकर, झुंझुनू और अन्य शहरों में गुणवत्तापूर्ण कोचिंग की उपलब्धता बढ़ने से छात्र अब वहीं रहकर पढ़ाई करना पसंद कर रहे हैं।

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