भारत के लिए राहत या नई चुनौती…जानिए किस मुद्दे पर फंसी है दोनों देशों की डील? ट्रंप का ट्रेड लेटर चर्चा में…

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका भारत के साथ एक नए व्यापार समझौते के बेहद करीब है. उन्होंने यह बात इज़रायली नेता नेतन्याहू के साथ रात्रिभोज के दौरान कही. हालांकि यह बयान दोस्ताना दिखता है, लेकिन इसके पीछे दबाव की राजनीति छिपी है. अमेरिका ने पहले ही 14 देशों पर टैरिफ का बम फोड़ दिया है. भारत को फिलहाल इससे बाहर रखा गया है, लेकिन चेतावनी हवा में तैर रही है.

जापान, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे 14 देशों पर 25% से 40% तक टैरिफ लगाया गया है. भारत को इस सूची से बाहर रखकर ट्रंप प्रशासन ने फिलहाल राहत दी है, लेकिन ट्रम्प ने साफ किया कि “जो देश अमेरिकी हितों के अनुरूप व्यवहार नहीं करेंगे, उन्हें टैरिफ नोटिस भेजा जाएगा.” इसका मतलब यह है कि भारत पर भी दबाव लगातार बना हुआ है.

ट्रंप की ‘लेटर डिप्लोमेसी’

ट्रंप ने जिन देशों के साथ टैरिफ डील नहीं बन पाई, उन्हें साइन किया हुआ “टैरिफ लेटर” भेजा है. इस नीति को ‘लेटर डिप्लोमेसी’ कहा जा सकता है जिसमें अमेरिका अपनी आर्थिक ताकत का प्रदर्शन कर रहा है. भारत को यह पत्र नहीं भेजा गया लेकिन यह साफ है कि अगर भारत अमेरिका की शर्तों पर नहीं झुका तो अगली सूची में उसका नाम आ सकता है.

अब भारत की बारी

ट्रंप ने चीन और यूनाइटेड किंगडम के साथ व्यापार समझौते का जिक्र कर भारत पर दबाव और बढ़ा दिया. उनका कहना है कि अमेरिका उन देशों को तरजीह देगा जो उसके आर्थिक और रणनीतिक हितों के अनुरूप होंगे. भारत को अपनी कृषि और डेयरी नीति के कारण इस लिस्ट में फिट बैठाना मुश्किल लग रहा है, लेकिन दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है.

भारत को ट्रंप की अप्रत्यक्ष चेतावनी

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर ब्रिक्स (BRICS) देशों को लेकर कहा कि जो देश अमेरिका विरोधी ब्रिक्स नीति से जुड़ेंगे, उन्हें अतिरिक्त 10% टैरिफ झेलना होगा. भारत इस वक्त ब्रिक्स का अहम हिस्सा है, और ऐसे में ट्रंप का यह बयान भारत के लिए भी एक तरह की चेतावनी माना जा रहा है.

किस मुद्दे पर फंसी है दोनों देशों की डील?

India-US ट्रेड डील पिछले कई वर्षों से बातचीत में है, लेकिन अब तक फाइनल नहीं हो सकी. अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि, डेयरी और ऑटो सेक्टर में टैरिफ में कटौती करे ताकि अमेरिकी कंपनियों को भारत में खुला बाजार मिल सके. भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और स्पष्ट कर दिया है कि ये सेक्टर उसके लिए संवेदनशील हैं और इन पर समझौता संभव नहीं है.

‘टैरिफ पॉलिटिक्स’ में भारत की स्थिति नाज़ुक

भारत फिलहाल उस ‘गोल्डन स्पॉट’ पर है जहां वह टैरिफ की लिस्ट में नहीं है, लेकिन अमेरिका से डील ना करने की स्थिति में वह कभी भी इस लिस्ट में शामिल हो सकता है. ट्रंप की रणनीति भारत के लिए दोधारी तलवार है- या तो उनकी शर्तें मानो, या आर्थिक सज़ा भुगतो.

व्यापार संतुलन बनाना या भारत पर दबाव?

ट्रंप की यह आक्रामक टैरिफ नीति और भारत से ‘करीब होती डील’ की बात अमेरिका के आगामी चुनावों से पहले एक रणनीतिक कदम भी है. वह अपने समर्थकों को यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका अब किसी भी देश के आगे नहीं झुकेगा. यहां तक कि भारत जैसे सहयोगियों के आगे भी नहीं.

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