
जयपुर : राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भड़का जासूसी कैमरा विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया है। कांग्रेस इसे मुद्दा छोड़ने को तैयार नहीं है। राज्य में इस मामले में कार्रवाई न होने के आरोप लगाते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। जूली ने कहा कि यह घटना लोकतंत्र की गरिमा और संवैधानिक संस्थाओं की पवित्रता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
उन्होंने बताया कि विपक्षी दल के प्रतिनिधियों ने पहले ही राज्यपाल से मिलकर इस मामले के तथ्यों से अवगत कराया और निष्पक्ष जांच की मांग की थी। जूली ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्थाएं संसद और विधानसभाएं हैं, और अगर इन पर संदेह और निगरानी का माहौल बनेगा, तो यह पूरे देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि विपक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों और विधायकों की गरिमा की रक्षा के लिए इस लड़ाई को अंत तक लड़ेगा।
क्या था जासूसी कैमरा विवाद
मानसून सत्र के दौरान विपक्ष और कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि विधानसभा में अतिरिक्त CCTV/PTZ (Pan-Tilt-Zoom) कैमरे लगाए गए हैं। विशेष रूप से विपक्षी बेंच और महिला विधायकों के आसपास ये कैमरे उन पर निगरानी रखने और गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग किए जा रहे थे। आरोपों के अनुसार, कैमरे केवल सदन की कार्यवाही तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सदन के बाद भी सक्रिय रहते हैं और ‘स्पीकर के रूम’ या रेस्ट रूम जैसे स्थानों से भी नियंत्रित किए जा सकते हैं।
कांग्रेस का कहना है कि ये कैमरे विधानसभा की पारंपरिक मर्यादाओं का उल्लंघन करते हैं और विधायक-सदस्यों की निजता का हनन हैं।
स्पीकर का जवाब
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि कैमरे सिर्फ कार्यवाही की रिकॉर्डिंग और प्रसारण के लिए लगाए गए हैं, और ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं होती। सरकार ने भी स्पष्ट किया कि ये कैमरे सुरक्षा, ऑडिट प्रक्रिया और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लगाए गए हैं।