Rajasthan : ट्रोमा सेंटर में गूंजती चीखें और आंसुओं का सैलाब, परिवारों पर टूटा दुखों का पहाड़

जयपुर। हरमाड़ा का भीषण सड़क हादसा सिर्फ 14 मौतों का आंकड़ा नहीं है — यह शहर की टूटती आत्मा, अधूरी हंसी और अचानक सूने हो गए घरों की कहानी है। कुछ घंटे पहले तक दिवाली के बाद खुशियों से भरे परिवार, कुछ ही पलों में मातम में डूब गए।

यह हादसा सिर्फ रफ्तार और लापरवाही का नतीजा नहीं, बल्कि उस भरोसे पर चोट है जो आम नागरिक प्रशासन और व्यवस्था पर करता है। सोमवार को ट्रोमा सेंटर की दीवारें दर्द से कांप उठीं। हर ओर से चीखें— “हे राम… हे भगवान… बेटा कहां गया… भाई कहां है तू…” — गूंज रही थीं। हरमाड़ा की यह त्रासदी अनगिनत परिवारों के जीवन में गहरा अंधकार छोड़ गई।

किसी का बेटा छिन गया, किसी का भाई हमेशा के लिए बिछड़ गया। जो साथ आए थे, वही अब सांत्वना देने की कोशिश में खुद को संभाल नहीं पा रहे थे। ट्रोमा सेंटर के गलियारों में दर्द और अविश्वास की गूंज थी — आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।

हादसे की खबर मिलते ही मची अफरा-तफरी

हरमाड़ा में हादसे की सूचना मिलते ही लोग ट्रोमा सेंटर की ओर दौड़ पड़े। कोई अपनी गाड़ी लेकर भागा, तो कोई पड़ोसी को साथ लाया। मृतक विनोद के परिजन अपनी दुकान का शटर तक लगाना भूल गए, उन्हें लगा शायद बेटा अब भी इंतजार कर रहा होगा।

28 दिन बाद फिर गम में डूबा ट्रोमा सेंटर

सिर्फ 28 दिन पहले ट्रोमा सेंटर में आग लगने से कई मौतें हुई थीं। अब हरमाड़ा हादसे ने एक बार फिर वही हृदयविदारक दृश्य दिखाया। एक के बाद एक एंबुलेंस आती रही, और बाहर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। माहौल इतना गमगीन था कि ट्रोमा सेंटर को पुलिस छावनी में तब्दील करना पड़ा। मुख्य द्वार पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया, जो हर आने-जाने वाले की जांच कर रहा था।

मौके पर पुलिस के आला अधिकारी, मंत्री, सांसद और विधायक भी पहुंचे। भीड़ नियंत्रण के लिए सुरक्षाकर्मियों ने सख्ती बरतते हुए अन्य मरीजों के परिजनों को भी बाहर निकाल दिया।

कांवटिया और एसएमएस अस्पतालों में हाहाकार

हादसे के बाद कांवटिया अस्पताल और एसएमएस ट्रोमा सेंटर में अफरा-तफरी मच गई। 21 घायलों को एंबुलेंस से लाया गया। कांवटिया में 10 लोगों को मृत घोषित किया गया, जबकि 8 गंभीर घायलों को एसएमएस ट्रोमा सेंटर रेफर किया गया।

कांवटिया अस्पताल की छह शवों की क्षमता वाली मोर्चरी हादसे के बाद फुल हो गई। दो शव पहले से मौजूद थे, जिनके बाद बाकी शवों को एसएमएस अस्पताल भेजा गया। एसएमएस मोर्चरी में नौ शव रखे गए, जिनमें से चार का पोस्टमॉर्टम कर परिजनों को सौंपा गया, जबकि बाकी का पोस्टमॉर्टम मंगलवार को होना है।

दो की अस्पताल पहुंचते ही मौत, तीन की हालत अब भी नाजुक

ट्रोमा सेंटर में भर्ती नौ घायलों में से दो ने पहुंचते ही दम तोड़ दिया। नोडल प्रभारी डॉ. बी.एल. यादव ने बताया कि 19 वर्षीय वर्षा बुनकर, 28 वर्षीय दानिश और 55 वर्षीय अजय पारीक की हालत बेहद गंभीर है — तीनों आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
बाकी चार घायल — मनोज, देशराज, कमल और ज्ञानरंजन — का मास कैजुअल्टी वार्ड में इलाज चल रहा है। सभी को गंभीर चोटें आई हैं।

यह हादसा न सिर्फ 14 ज़िंदगियों का अंत, बल्कि 14 परिवारों की दुनिया उजाड़ देने वाला मंजर बन गया — जहां रोशनी की जगह अब सिर्फ खामोशी और मातम बचा है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें