राजस्थान फोन टैपिंग केस : हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का केस किया बंद

जयपुर : राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग प्रकरण और पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के दौरान विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त मामले में बड़ा फैसला आया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एसीबी में दर्ज राजद्रोह के मुकदमे को बंद कर दिया है।

न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति अशोक सिंह की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं भरत मालानी और अशोक सिंह की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया। अदालत ने कहा कि एसीबी ने स्वयं माना कि मामले में कोई अपराध सिद्ध नहीं होता और इसी आधार पर अभियोजन से मुक्त करने वाली अंतिम रिपोर्ट (FR) पेश की गई। इसलिए एफआईआर को चुनौती देने की अब कोई आवश्यकता नहीं है।

फोन रिकॉर्डिंग पर टिका था पूरा मामला

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी.आर. बाजवा और अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने दलील दी कि यह पूरा मामला फोन रिकॉर्डिंग पर आधारित था, जिसमें याचिकाकर्ता आपस में सामान्य बातचीत कर रहे थे। रिकॉर्डिंग में कहीं भी विधायकों की खरीद-फरोख्त या सरकार गिराने की साजिश का स्पष्ट उल्लेख नहीं था।

शुरुआत में यह मामला एसओजी ने राजद्रोह के आरोप में दर्ज किया था, लेकिन जांच में ठोस साक्ष्य न मिलने पर एफआर लगाकर इसे एसीबी को भेज दिया गया। एसीबी ने भी विस्तृत जांच के बाद कोई आपराधिक साजिश न पाते हुए अदालत में एफआर पेश कर दी।

सचिन पायलट गुट पर लगे थे आरोप

गहलोत सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर आरोप लगे थे कि वे सरकार गिराने और निर्दलीय विधायकों की खरीद-फरोख्त के प्रयास में जुटे थे। आरोप यह भी था कि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए दबाव बनाने की कोशिश की गई।

हालांकि, जांच एजेंसियों को रिकॉर्डिंग के अलावा कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले और अंततः मामला बंद कर दिया गया।

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