
जयपुर : राजस्थान विधानसभा में आज भजनलाल सरकार अवैध धर्मांतरण रोकने वाले विधेयक पर चर्चा करवाएगी। पिछले महीने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस विधेयक का प्रारूप मंजूरी प्राप्त कर चुका है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार इस बिल के माध्यम से धर्म के नाम पर लोगों को भ्रमित करना चाहती है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि विधानसभा में सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में लव जिहाद का एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है।
मुख्य बिंदु
- प्रस्तावित राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2025 में ‘घर वापसी’ को धर्म परिवर्तन की श्रेणी से बाहर रखा गया है। यानी कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में लौटना चाहे तो उस पर यह कानून लागू नहीं होगा।
- विधि एवं विधिक कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि यह विधेयक प्रलोभन, बल, कपट या अन्य अनुचित तरीकों से कराए जाने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए लाया गया है।
कठोर प्रावधान और सजा
- धर्म परिवर्तन के लिए किया गया विवाह शून्य घोषित होगा।
- धर्मांतरण संबंधी अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय होंगे।
- सामान्य अवैध धर्मांतरण: 7–14 वर्ष कारावास + 5 लाख जुर्माना।
- नाबालिग, महिला या SC/ST वर्ग के खिलाफ अपराध: 10–20 वर्ष कारावास + 10 लाख जुर्माना।
- सामूहिक धर्मांतरण: 20 वर्ष से आजीवन कारावास + 25 लाख जुर्माना।
- विदेशी या अवैध फंडिंग द्वारा धर्मांतरण: 10–20 वर्ष कारावास + 20 लाख जुर्माना।
- पुनरावृत्ति: आजीवन कारावास + 50 लाख जुर्माना।
संस्थाओं और संपत्ति पर कार्रवाई
- धर्मांतरण में लिप्त संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
- अवैध धर्मांतरण के लिए उपयोग की गई संपत्ति जब्त या गिराई जा सकती है।
- धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति पर सबूत का भार होगा।